बिहार में आयी बाढ़ ने सभी लोगों को प्रभावित किया है. सड़कें टूट गयी हैं. बिजली के पोल गिर गये हैं. घर में पानी भर गया है. लोग पलायन कर ऊंचे स्थानों पर चले गये हैं. ऐसे में बच्चों की शिक्षा पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है.
पटना : उत्तर बिहार में आयी बाढ़ से अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर व सुपौल में इंफ्रॉस्ट्रक्चर पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है.
जो लोग पक्के घरों में रहते थे, वे अब खुले आसमान के नीचे पॉलीथिन तान कर जीवनयापन कर रहे हैं. स्कूलों में बाढ़पीड़ितों ने शरण ले रखी है. अनेक स्कूलों में अभी भी पानी भरा हुआ है. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई का भी काफी नुकसान हुआ है. अभी छह महीने तक लगता नहीं है कि बच्चे स्कूल जा पाएंगे. ऐसे में उनका यह सत्र बाढ़ की भेंट चढ़ गया है.
नकदी की परेशानी
जिन जिलों में बाढ़ है, वहां नकदी सबसे बढ़ी समस्या बनी हुई है. क्योंकि लोगों को एटीएम से पैसे मिल नहीं रहे और लोग सामान छोड़कर बैंक जा नहीं पा रहे.
अररिया में एमडीएम कार्यालय में दस्तावेज को सुखाते कर्मी
सीतामढ़ी
बाढ़ के चलते न केवल जान-माल की क्षति हुई है, बल्कि शिक्षा व स्वास्थ्य व्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हुई है. हालत यह है कि जिले 1306 स्कूलों में बाढ़ का पानी घुसा हुआ है. इसके चलते स्कूलों में पठन-पाठन बंद है. वहीं अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र व हेल्थ सेंटर समेत 80 अस्पताल बाढ़ की चपेट में हैं. हालांकि चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी गांव-गांव में शिविर लगा कर रोगियों का इलाज कर रहे हैं. लिहाजा स्वास्थ्य व्यवस्था पर खास असर नहीं पड़ा है.
मधुबनी
बाढ़ से लोगों की जिंदगी बेपटरी हो गयी है. आवासीय व्यवस्था के साथ-साथ छात्रों की पढ़ाई व स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी कुप्रभाव पड़ा है. आलम यह है कि अभी भी जिले के दो सौ से अधिक विद्यालय में शिक्षण कार्य पानी से घिरे होने या सड़क टूटने के कारण शुरू नहीं हो सका है. वहीं करीब पांच हजार से अधिक घर पूर्ण रूप से धराशायी हैं, तो 12000 से अधिक घर आंशिक रूप से. हालांकि जिले में कहीं से भी पीएचसी के बंद होने की जानकारी नहीं है.
पूर्वी चंपारण
पूर्वी चंपारण की आधी आबादी बाढ़ की चपेट में रही. 22 प्रखंडों की 240 पंचायतों की 22.18 लाख जिंदगी पूरी तरह से बेपटरी रही. पताही, ढाका, बंजरिया, सुगौली, बनकटवा व रक्सौल, मधुबन व पकड़ीदयाल में बाढ़ से लोग कराहते रहे. बाढ़ के दौरान कितने घर गिरे हैं, इसका आकलन नहीं हो पाया है
डीडीसी सुनील कुमार यादव की मानें, तो दस प्रतिशत कच्चा मकान बाढ़ के पानी में ध्वस्त हुए हैं. बाढ़ के कारण छात्रों की पढ़ाई व स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी कुप्रभाव पड़ा है.1268 विद्यालयों में पढ़ाई बाधित रही. जिला शिक्षा पदाधिकारी इफ्तेखार अहमद के अनुसार,17 से 24 अगस्त तक 755 प्राथमिक 489 मध्य व 24 उच्च विद्यालयों को बंद रखा गया.
पश्चिमी चंपारण
जिले में आयी प्रलयंकारी बाढ़ के हटने के बाद तबाही का मंजर का देखते बन रहा है. जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में क्षतिग्रस्त मकानों की सूरत तो रोंगटे खड़े कर रही है. वहीं बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में खेतों में फैले पानी से निकल रही बदबू से अब गांव में रहना भी मुश्किल हो गया है.
गांवों में महामारी की आशंका प्रबल हो गयी है. वैसे तो जिले के अधिकांश जगहों से बाढ़ का पानी उतर चुका है. लेकिन कुछ पंचायत में अभीभी जलजमाव की स्थिति बनी हुयी है. इसकी वजह से जिले के करीब 231 स्कूल बंद पड़े हुए हैं. प्रशासन ने भी इन स्कूलों को 26 अगस्त तक बंद रखने का आदेश दिया है. बाढ़ की इस त्रासदी में जिले के 12220 झोपड़ियां नष्ट हुई हैं, जबकि 553 पक्का मकान पूर्णरुप तथा 443 आंशिक रुप से क्षतिग्रस्त हुए हैं. वहीं पूर्ण रुप से क्षतिग्रस्त कच्चे मकानों कीसंख्या 5113 है, जबकि 302 आंशिक रुप से क्षतिग्रस्त होने की सूचना है. वर्तमान में बाढ़ प्रभावित लोगों के सहायता के लिए 3 कैम्प अभी भी संचालित किये जा रहे हैं. जिसमें 2400 बाढ़ पीडि़त विस्थापन का दंश झेल रहे है. बाढ़ के कारण जिले के कई अस्पताल दो से तीन दिन तक बंद रहे.
पूर्णिया
बाढ़ ने पूर्णिया के बायसी अनुमंडल में सबसे अधिक तबाही मचायी. सड़कें टूट गयी, तो घर ध्वस्त हो गये. अनुमंडल के सभी 206 विद्यालयों में पठन-पाठन बाधित है. स्कूलों में अब भी बाढ़ का पानी जमा है तो कुछ स्कूलों में बाढ़ पीड़ित शरण लिये हुए हैं या फिर राहत शिविर चल रहे हैं. फिलहाल पठन-पाठन शुरू होने की कोई संभावना नहीं दिख रही है. वैसे, एहतियातन बाढ़ के कारण जिले के सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया था. यहां सोमवार को पढ़ाई शुरू होने की संभावना है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. विपन्नता की वजह भी हर साल आने वाली बाढ़ है, जो संपन्न नहीं होने देती है.
किशनगंज
ग्रामीण क्षेत्र इलाके के सभी विद्यालय बाढ़ से प्रभावित हुए. विद्यालयों में पढ़ाई बंद है. अधिकांश विद्यालयों में पीड़ित शरण लिये हैं. इतना ही नहीं सड़कें कट गयी है. परिजन बच्चों को विद्यालय भेजना नहीं चाहते. जिला प्रशासन को उम्मीद है कि पठन-पाठन सुचारू होने में अगले एक सप्ताह का समय लग जायेगा.
स्कूलों के साथ-साथ कई महाविद्यालयों व सरकारी कार्यालयों में पानी प्रवेश करने के कारण जरूरी कागजात को नुकसान पहुंचा है. जिला मुख्यालय स्थित रतन काली साहा महिला महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ विष्णु कुमार नायक ने बताया कि बाढ़ के दौरान कालेज भवन व कार्यालय में पानी प्रवेश करने के कारण कॉलेज के 24 कंप्यूटर नामांकन फॉर्म एवं कई जरूरततमंद कागजात को काफी क्षति पहुंची है.
कटिहार
कटिहार में इस बार बाढ़ ने भारी तबाही मचायी. प्रखंड तो जलमग्न हुआ ही, शहर के भी कई इलाकों में भी पानी घुस आया. बाढ़ के कारण लोगों को घर-द्वार छोड़ना पड़ा. जिला प्रशासन की मानें तो जिले के 14 सौ स्कूलों में बाढ़ का पानी घुसा था. 366 विद्यालय अब भी जलमग्न हैं. 109 विद्यालय में राहत शिविर चल रहे हैं. गुरुवार से जिले के 1241 विद्यालयों में पठन-पाठन शुरू कर दिया गया. मनिहारी, बारसोई, कदवा सहित आठ प्रखंड बाढ़ से प्रभावित हुए. शहरी इलाके में तो जनजीवन पटरी पर लौट आया है लेकिन ग्रामीण इलाकों की स्थिति बुरी है.
अररिया
अररिया के 1976 प्रारंभिक स्कूलों में लगभग 1500 स्कूलों में बाढ़ का पानी घुसा. तीन सौ स्कूलों में राहत शिविर चल रहा है. 27 तक विद्यालय बंद है. इसके बाद जिला प्रशासन तय करेगा कि कितने स्कूलों में पढ़ाई शुरू हो सकती. जिला मुख्यालय में भी बाढ़ का पानी घुसा था. कलेक्ट्रेट सहित निर्वाचन कार्यालय, जिला कल्याण कार्यालय, नगर थाना, सदर अस्पताल में भी पानी घुसा था. हालांकि अब पानी निकल गया है. कार्यालयों में कार्य पूर्ववत शुरू हो गया है. हालांकि बाढ़ के कारण दस्तावेज को काफी क्षति पहुंची है.
स्वास्थ्य सेवा रही ठप
जिले के 22 स्वास्थ्य केंद्रों पर बाढ़ के दौरान स्वास्थ्य सेवा ठप रही. बंजरिया स्वास्थ्य केंद्र को मध्य विद्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया. चिरैया, सुगौली, पिपराकोठी व सदर प्रखंड में अभी भी वैसी ही स्थिति है.
दरभंगा
जिले में बाढ़ की भयावह स्थिति को ले प्रशासन ने सभी स्कूलों को 26 अगस्त तक के लिए बंद कर रखा है. करीब 10 दिनों से जिले के सभी स्कूल बंद हैं. बाढ़ के कारण एक भी स्वास्थ्य केंद्र बंद नहीं है. करीब 25 लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित है. बाढ़पीड़ितों के लिए प्रशासन ने जिले में 202 शरणस्थली निर्धारित कर रखा है.
मुजफ्फरपुर
जिले में बाढ़ की स्थिति विकराल होती जा रही है. धीरे-धीरे बाढ़ का पानी फैलता जा रहा है. बाढ़ की चपेट में 12 प्रखंड आ चुके है. शुक्रवार को बोचहां, मुरौल व मुशहरी प्रखंड के कई इलाकों में पानी फैल गया. देर शाम मुजफ्फरपुर-पूसा मार्ग पर नरौली के निकट पेड़ गिर जाने से डीएम धर्मेंद्र सिंह व एसएसपी विवेक कुमार फंस गये. वही सुबह में खादी भंडार चौक के पास बाढ़ पीड़ितों में जरूरी सुविधाएं नहीं मिलने पर एसडीओ पूर्वी सुनील कुमार को बंधक बना लिया. पांच घंटे तक चले बवाल के बाद उन्हें मुक्त कराया गया.
समस्तीपुर
जिले के सिंघिया, बिथान, हसनपुर व कल्याणपुर प्रखंडों के बाढ़ग्रस्त इलाकों में जनजीवन बेपटरी हो गया है. प्रशासनिक आंकड़ों में इन प्रखंडों के 50296 लोग प्रभावित हैं. अब तक मात्र चार लोगों की मौत हुई है.
जमीनी स्तर पर इसकी संख्या कहीं अधिक है. इन इलाकों में आने वाले 103 स्कूल बंद हैं. सिंघिया के शुंभा ड्योढी समेत 21 पंचायतों में अवस्थित स्वास्थ्य उपकेंद्र, आंगनबाड़ी केंद्र और विद्युत संचरण व्यवस्था पूरी तरह से चरमरायी हुई है. यहां बांध और ऊंचे स्थान पर शरण लेने वाले लोगों को रात के समय में रोशनी नहीं है.