29.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

क्या नरेंद्र मोदी-अमित शाह ने एनडीए में नीतीश कुमार के लिए तय कर रखी है बड़ी भूमिका?

नयी दिल्ली : देश की राजनीति में हुए आज दो अहम घटनाओं ने एक अहम संकेत दिया है. एक भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का सुबह किया गया ट्वीट – जिसमें उन्होंने कल जदयू के अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हुई अपनी मुलाकात का जिक्र करते हुए यह बात सार्वजनिक की […]

नयी दिल्ली : देश की राजनीति में हुए आज दो अहम घटनाओं ने एक अहम संकेत दिया है. एक भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का सुबह किया गया ट्वीट – जिसमें उन्होंने कल जदयू के अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हुई अपनी मुलाकात का जिक्र करते हुए यह बात सार्वजनिक की कि उन्होंने नीतीश कुमार को भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में अपनी पार्टी को शामिलकरने का न्यौता दिया है. दूसरा, जदयू द्वारा राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को पत्र सौंप कर यह बताना कि राज्यसभा में अब शरद यादव उसके नेता नहीं होंगे, उनकी जगह यह जिम्मेवारी आरसीपी सिंह संभालेंगे. आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के बेहद भरोसेमंदराजनीतिकसहयोगी हैं.

शरद यादव को जदयू ने राज्यसभा में नेता पद से हटाया, वेंकैया को सौंपी चिट्ठी, आरसीपी नये नेता

इनदो घटनाओं के बाद यह चर्चा शुरू हो गयी है कि क्या नीतीश कुमार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गंठबंधन में कोई बड़ी भूमिका तय कर रखी है? चर्चा है कि नीतीश को राजग का संयोजक बनाया जा सकता है. यह बात भी दिलचस्प है कि एनडीए के पुराने संस्करण में संयोजक की जिम्मेवारी हमेशा जदयू या उसके पुराने संस्करण समता पार्टी के नेता ही संभालते रहे हैं. वाजपेयी युग में जार्ज फर्नांडीस इस भूमिका को निभा रहे थे. उनका युग खत्म होने के बाद जब आडवाणी एनडीए के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार व अध्यक्ष बनाये गये तो शरद यादव को इसका संयोजक बनाया गया. हालांकि 2009 के लोकसभा चुनाव में आडवाणी-शरद की अगुवाई वाला एनडीए सोनिया-मनमोहन के नेतृत्व वाले कांग्रेस व यूपीए सरकार के सामने प्रभावी साबित नहीं हुआ और चुनाव हार गया.

आज एनडीए की अगुवाई नरेंद्र मोदी-अमित शाह के पास है. ऐसे में संयोजक पद की अहम जिम्मेवारी नीतीश कुमार को सौंप कर राष्ट्रीय स्तर पर उनकी साफ व काम करने वाले नेता की छवि का लाभ राजनीति की माहिर यह जोड़ी लेने की कोशिश कर सकती है. इस बड़ी भूमिका का गुजरात विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को लाभ हो सकता है, जहां नीतीश कुमार के जातीय समुदाय पाटीदार सबसे प्रभावी वोट बैंक हैं और यह माना जा रहा है कि वे भाजपा से नाराज चल रहे हैं.

लालू यादव को जेल पहुंचाने की डील करने दिल्ली गये थे सीएम नीतीश : मनोज झा

हालांकि इस पूरे मामले पर नीतीश कुमार ने अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं, लेकिन समझा जाता है कि इस महीने 19 अगस्त को जब पटना में उनकी अध्यक्षता में जदयू कार्यकारिणी की बैठक होगी तब इस परवेअपने नेताओं की राय लेंगे और संभव है कि इस पर स्पष्ट व ठोस फैसला भी ले सकते हैं.कार्यकारिणी में एनडीएमेंशामिल होने व उसकासंयोजक बनने जैसे प्रस्तावपरविचार किया जायेगा.

हालांकिनीतीश कुमार की राजनीति शैलीऐसी रही है,जिसमेंवे खुद की केंद्रीयभूमिका बनाये रखते हैं.दो साल पहले जब उन्होंने राजद व कांग्रेस से गठजोड़ कर चुनाव लड़ातो उसेयूपीएकी बिहार इकाई नहीं बनाया, बल्कि महागंठबंधन का नाम दिया. ऐेसे में यह देखना दिचलस्प होगा कि अमित शाह के प्रस्ताव पर वे क्या फैसला लेते हैं? फिलहालतो बिहार में जदयू-एनडीएसरकारही चल रही है, जिसके नेता नीतीश कुमार हैं.

शरद का संकेतों में नीतीश पर निशाना, जब इंदिरा से डर नहीं लगा तो ‘उनसे’ क्या डरना

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें