गोविंदपुर. बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोप गुट-एआइसीसीटीयू) के आह्वान पर 20 से 24 मई तक आशा व आशा फैसिलिटेटर की पांच दिवसीय राजव्यापी हड़ताल की शुरुआत हो गयी. हड़ताल अपनी लंबित मांगों के समर्थन में की जा रही है. इसमें राज्यभर की हजारों आशा और आशा फैसिलिटेटर शामिल हैं. इसी क्रम में गोविंदपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के अंतर्गत कार्यरत सभी आशा व आशा फैसिलिटेटर ने भी हड़ताल में भाग लेते हुए अपना समर्थन जताया है. हड़ताल की जानकारी देने और अपनी मांगों को औपचारिक रूप से प्रशासन के समक्ष रखने के लिए गोविंदपुर की आशाओं ने सामूहिक रूप से सीएचसी में एक पत्र सौंपा है. इसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं की जाती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा. ये हैं प्रमुख मांगें : पूर्व में हुए समझौते को लागू किया जाए, जिसमें बढ़ी हुई प्रोत्साहन राशि शामिल हो. आशा और आशा फैसिलिटेटर को न्यूनतम 21,000 रुपये मासिक मानदेय दिया जाए. रिटायरमेंट की उम्र 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष की जाए. सेवानिवृत्ति के बाद 10 लाख रुपये का रिटायरमेंट पैकेज और आजीवन पेंशन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए. आशा कार्यकर्ता स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ मानी जाती हैं, जो ग्रामीण और दूर-दराज क्षेत्रों में मातृ व शिशु स्वास्थ्य, टीकाकरण, परिवार नियोजन और अनेक राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों को क्रियान्वित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. लेकिन, लंबे समय से मानदेय, सामाजिक सुरक्षा और कार्य की स्थिरता जैसे मुद्दों पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए वे समय-समय पर आंदोलन करती रही हैं. गोविंदपुर समेत राज्य के कई हिस्सों में हड़ताल के कारण सामुदायिक स्तर पर चल रही स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ सकता है. गर्भवती महिलाओं की देखभाल, नवजात शिशुओं की स्वास्थ्य निगरानी और टीकाकरण जैसी सेवाएं इस अवधि में प्रभावित रहने की संभावना है.
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