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जिले में टीबी के 2145 मरीजों का चल रहा इलाज

2025 तक देश में टीबी समाप्त करने का लक्ष्य

नवादा कार्यालय. भारत सरकार ने 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा ह, जबकि वैश्विक स्तर पर टीबी मुक्त करने का लक्ष्य 2030 तक निर्धारित है. स्वास्थ विभाग के आकांड़ों के अनुसार, 2020 तक टीबी के मरीजों में 80 प्रतिशत तक कमी आयी थी. 2025 के अंत तक 90 प्रतिशत से अधिक टीबी को समाप्त करने में सफलता मिलेगी. उक्त बातें सीडीओ डॉ माला सिन्हा ने कहीं. उन्होंने बताया कि जिला स्वास्थ्य समिति इसके लिए बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है. जिले के सभी प्रखंडों में कैंप लगाकर सस्पेक्टेड मरीजों की जांच की जा रही है. सदर अस्पताल में जांच के साथ दवाइयां उपलब्ध करवायी जा रही हैं. भारत सरकार के लक्ष्य को शत-प्रतिशत पूरा करने के लिए विभाग पूर्णत: समर्पित है. जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर भी टीबी स्क्रीनिंग और सैंपल लेने की व्यवस्था की गयी है. जुलाई और अगस्त के महीने में ईंट-भट्टों से आने वाले सभी मजदूरों को टीबी की जांच की गयी. विभागीय जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग एमडीआर टीबी के मरीज पर 10 लाख रुपये तक का और नॉर्मल टीबी के मरीज पर पांच लाख रुपये खर्च कर रही है. जिले में टीबी के मरीजों को सुविधा प्रदान करने के लिए डीपीसी निधि लता, काउंसलर निरंजन कुमार शिवाजी, लैब टेक्नीशियन सत्येंद्र कुमार और मोहित कुमार के साथ-साथ एसटीऐलए अमरेंद्र प्रसाद और एसटीएस अखिलेश कुमार प्रभाकर जुटे हैं. समाधान सीडीओ डॉ माला सिन्हा ने बताया कि एमडीआर टीबी तब होती है, जब मरीज टीबी की दवाओं का पूरा कोर्स नहीं करता. अगर एमडीआर मरीज की स्थिति छह माह में ठीक नहीं होती, तो वह एक्सडीआर श्रेणी में आ सकता है. हालांकि, आधुनिक दवा बेडाक्विलीन के उपयोग से अब एमडीआर और एक्सडीआर टीबी का इलाज 9-11 माह में संभव हो गया है. यह पहले 24 माह तक चलता था. निक्षय पोषण योजना का मिलता है लाभ टीबी मरीजों के लिए निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत टीबी मरीजों को इलाज के दौरान पोषण सहायता के लिए हर माह एक हजार दिये जाते हैं. यह राशि डायरेक्ट डीबीटी के माध्यम से मरीज के खाते में जमा होती है. दवाओं का नियमित सेवन जरूरी टीबी जैसी गंभीर बीमारी को हराने के लिए दवाओं का नियमित सेवन और जागरूकता अत्यंत आवश्यक है. सभी संभावित टीबी मरीज को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर भेजें. टीबी का इलाज मुफ्त और प्रभावी है. लापरवाही से टीबी जानलेवा हो सकती है. उन्होंने बताया की टीबी के खिलाफ लड़ाई कठिन जरूर है, लेकिन असंभव नहीं. क्या हैं टीबी बीमारी टीबी रोग एक संक्रामक बीमारी है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया से फैलती है. यह मुख्यतः फेफड़ों को प्रभावित करती है, लेकिन शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकती है. भारत में टीबी एक प्रमुख स्वास्थ्य चुनौती है. सरकार ने इसे 2025 तक पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा था, जो डब्ल्यूएचओ के वैश्विक लक्ष्य 2030 है. टीबी रोग का सही और नियमित उपचार न करना मरीज को एमडीआर और एक्सडीआर टीबी का शिकार बना सकता है. जिला यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी डॉ माला सिन्हा ने बताया कि एमडीआर और एक्सडीआर टीबी, सामान्य टीबी का बिगड़ा हुआ रूप है, जिसमें सामान्य दवाएं असर नहीं करतीं. वित्तीय वर्ष 2024-25 के आंकड़े माह मरीजों की संख्या अप्रैल 120 मई 163 जून 161 जुलाई 171 अगस्त 162 सितंबर 168 अक्टूबर 169 नवंबर 170 दिसंबर 177 जनवरी 187 फरवरी 252 मार्च 245 कुल 2145 क्या कहते हैं अधिकारी टीबी रोग की रोकथाम के लिए सबसे पहले रोगियों के संपर्क में आने से बचाव करना होता है. अगर किसी कारण उनके संपर्क में आते हैं, तो टीबी बीमारी होने की आशंका प्रबल हो जाती है. लेकिन, छींकने या खांसने के समय दूरी बना लेना बेहतर है. हालांकि, इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए अपने शिशुओं और बड़े बच्चों तथा वयस्कों को भी बीसीजी का टिका लगाया जाता है. कुछ वैसे भी लोग होते हैं जिन्होंने बचपन में बीसीजी का टीका नहीं लगाया होगा. वैसे लोगों को टीबी बीमारी को रोकने के लिए बीसीजी का टीका लगवाना अनिवार्य हो गया है. डॉ माला सिन्हा, सीडीओ, सदर अस्पताल नवादा

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