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शहर में बीपीएल परिवारों का नहीं बना वोटर कार्ड
मतदाता दिवस पर आम जनता को मतदान करने का संदेश निर्धन व महिलाएं नहीं बनवा पातीं वोटर कार्ड चुनावों में ही नजर आते है संबंधित कर्मचारी नवादा कार्यालय : मतदान आम जनता की सबसे बड़ी शक्ति हैं. मतदान द्वारा शासन प्रशासन में बड़े बदलाव होते हैं. इसके द्वारा जनता सीधे शासन व्यवस्था में भागीदारी निभाती […]
मतदाता दिवस पर आम जनता को मतदान करने का संदेश
निर्धन व महिलाएं नहीं बनवा पातीं वोटर कार्ड
चुनावों में ही नजर आते है संबंधित कर्मचारी
नवादा कार्यालय : मतदान आम जनता की सबसे बड़ी शक्ति हैं. मतदान द्वारा शासन प्रशासन में बड़े बदलाव होते हैं. इसके द्वारा जनता सीधे शासन व्यवस्था में भागीदारी निभाती हैं. विकास को रास्ते पर बढ़ने के लिए मतदान बहुत ही जरूरी हैं. चुनाव आयोग कुछ वर्षों के मतदान आकंड़े में निरंतर आ रही गिरावटों से चिंतित है.
कम मतदान होने से एक अच्छी और सशक्त सरकार बनने में दिक्कतें आती हैं. बार-बार चुनाव से देश व नागरिक के पैसे व समय की बरबाद होती हैं. चुनाव आयोग ने मतदाताओं की जागरूकता के लिए 25 जनवरी 2011 से राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाने की पहल की. इसी दिन 1950 में चुनाव आयोग का गठन हुआ था. लेकिन, भारत में चुनाव प्रक्रिया के शुरू हुए 68 साल बीत गये. इतने लंबे अरसे के बाद भी देश के मतदाताओं को जागरूक करने की जरूरत किन परिस्थितियों में आन पड़ी है. देश में होनेवाले चुनावों में आज भी 30 से 40 फीसदी जनता मतदान नहीं करती. गरीब, निरक्षर व महिलाएं आज भी मतदान जैसे अधिकार को अनिवार्यता नहीं देते.
जानकारी की कमी से नहीं बनता वोटर कार्ड स्वच्छ व मजबूत सरकार बनाने के लिए अधिकाधिक संख्या में लोग मतदान करें. इसके लिए चुनाव आयोग मतदाताओं के जागरूकता के लिए बैनर, पोस्टर व कार्यक्रम आयोजित करके लोगों को जागरूक करती हैं. राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर बड़े-बड़े आयोजन होते हैं. बावजूद इसकी पहुंच गरीबी रेखा से नीचे रहनेवाली जनता तक नहीं होती. शहर के हृदय स्थल पर बसे हरिश्चंद्र स्टेडियम के पास रहनेवाले बीपीएल परिवारों के कई सदस्यों के पास आज भी वोटर कार्ड नहीं हैं. ऐसे में जिले से दूर बसे गांवों में रहनेवाले ग्रामीणों की स्थिति का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता हैं. पुरानी जेल रोड स्थित डॉक्टर्स कॉलोनी में रहनेवाले बीपीएल परिवार के लोग वोटर कार्ड बनवाना भी नहीं जानते हैं. समाहरणालय से महज सौ फुट की दूरी पर बसे लोग वोटर कार्ड से ही वंचित हैं.
गरीबी व अशिक्षा है सबसे बड़ी समस्या देश की 29.8 फीसदी जनसंख्या आज भी गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर कर रही हैं. दुनिया के हर तीसरे गरीब में एक भारतीय हैं. कुल गरीबों का 60 फीसदी आबादी सिर्फ बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व ओडिशा में रहती हैं. नवादा भी उनमें से एक जिला हैं. लोगों में साक्षरता का दर भी काफी कम हैं. इन गरीब व निर्धन लोगों में मतदान प्रक्रिया, मतदाता फोटो पहचान पत्र, मतदाता सूची जैसे चीजों की समझ तक नहीं हैं. मतदाताओं को पंजीकृत कराने में लगे बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) भी अपनी भागीदारी नहीं निभाते हैं. ऐसे में मतदाता दिवस पर कार्यक्रम आयोजित करके सिर्फ जागरूक लोगों को ही जानकारी देना सरकारी कार्यक्रमों की पोल खोलती हैं.
जमीन स्तर पर पंजीकरण की जरूरत
मत का दान नहीं बल्कि सोच समझ कर उपयुक्त उम्मीदवार के चयन का अधिकार हैं. इसके लिए जमीन स्तर पर लोगों को मतदाता सूची में जोड़ने की पहल की जानी चाहिए. अधिकारियों द्वारा प्रत्येक मतदान क्षेत्र में आनेवाले गली-मुहल्लों के नागरिकों तक पहुंच कर मतदान सूची में नाम व मतदाता पहचानपत्र देने को सुनिश्चित किया जाना होगा. तभी राष्ट्रीय मतदाता दिवस की सार्थकता साबित होगी. एक बड़ी आबादी को वोटर कार्ड से वंचित करके मतदान प्रतिशत में इजाफा नहीं किया जा सकता.
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