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दूसरों का सम्मान करें, खुद सम्मान पायेंगे

दूसरों का सम्मान करें, खुद सम्मान पायेंगे वारिसलीगंज. संसार का हित को लेकर चलना सबसे बड़ा धर्म है. उपेक्षित होने पर भी घबराना नही चाहिए, बल्कि कार्य में प्रयासरत होना चाहिए. जिस तरह किसी के द्वारा बड़ाई करने पर भी उत्साहीत नही होना चाहिए. बल्कि इष्या का पात्र होने पर गर्व महसूस करनी चाहिए. यह […]

दूसरों का सम्मान करें, खुद सम्मान पायेंगे वारिसलीगंज. संसार का हित को लेकर चलना सबसे बड़ा धर्म है. उपेक्षित होने पर भी घबराना नही चाहिए, बल्कि कार्य में प्रयासरत होना चाहिए. जिस तरह किसी के द्वारा बड़ाई करने पर भी उत्साहीत नही होना चाहिए. बल्कि इष्या का पात्र होने पर गर्व महसूस करनी चाहिए. यह बातें अयोध्या निवासी सिया राम किला के संत प्रभंजनांद जी महाराज ने श्री राम कथा के पांचवें दिन बुधवार को सूर्य मंदिर मैदान में प्रवचन के दौरान कहीं. उन्होंने कहा कि जीवन में अच्छे लोग पुण्य प्राप्ति के बाद मिलते हैं. अत: जीवन को सफल बनाने के लिए चतुराई का परित्याग कर भगवान भजन भाव पूर्वक करना चाहिए. वहीं, सम्मान पाने को लेकर दूसरे को सम्मान देना बहुत जरूरी है. महाराज ने कहा कि हर परिस्थिति में मनुष्य को मुस्कुराते रहना चाहिए, ताकि वैसे लोग के निकट विपत्ति आने भी घबराए नहीं. जीवन में कर्म के अनुसार फल मिलता है, न कि जाति, धर्म व संप्रदाय के अनुसार. प्रवचन के दौरान डॉ गोविंद जी तिवारी, डॉ हरेराम, शंकर कुमार आदि उपस्थित थे.

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