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कन्या विवाह योजना की व्यवस्था में खामियां

– गिरीश कुमार – काशीचक : सरकार द्वारा चलायी गयी कन्या विवाह योजना में गड़बड़ी के कारण कन्या विवाह के लाभ से पहले दर्जनों नवविवाहिता मातृत्व लाभ पा चुकी है. चौकिए नहीं यह हाल है काशीचक प्रखंड के कन्या विवाह योजना के लाभुकों का. अजीब हलाता है प्रखंड क्षेत्र के नवविवाहिता का. जिन्हें शादी के […]

– गिरीश कुमार

काशीचक : सरकार द्वारा चलायी गयी कन्या विवाह योजना में गड़बड़ी के कारण कन्या विवाह के लाभ से पहले दर्जनों नवविवाहिता मातृत्व लाभ पा चुकी है. चौकिए नहीं यह हाल है काशीचक प्रखंड के कन्या विवाह योजना के लाभुकों का.

अजीब हलाता है प्रखंड क्षेत्र के नवविवाहिता का. जिन्हें शादी के दो साल बीत जाने के बाद भी कन्या विवाह योजना का लाभ पाने के लिए भटकना पड़ रहा है. हद तो यह है कि वर्ष 2011 में इस योजना के तहत पंचायत कार्यालय से विवाह निबंधन का रजिस्ट्रेशन करा कर प्रखंड कार्यालय में आवेदन जमा किया गया था.

लेकिन दो साल बाद भी लाभुकों को योजना से वंचित होना पड़ रहा है. सूत्रों की मानें तो इसके तहत सैकड़ों नव विवाहित कन्या लाभार्थियों को अभी तक चेक मुहैया नहीं कराया गया. 2011 से 13 तक विवाहित को प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाना नियति बन गई है.

दर्जनों नवविवाहिता लाभुक योजना के चेक का इंतजार करते करते ससुराल चली गयी, और मातृत्व सुख प्राप्त करने के बाद सरकारी अस्पताल से मातृत्व लाभ के पैसे के हकदार हो गयी. दर्जनों लाभुक अब बच्चे को गोद लिए कन्या विवाह योजना की राशि पाने के लिए दौड़ लगा रही है.

क्या है प्रावधान

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत 18 वर्ष से अधिक उम्र की कन्याओं की शादी के बाद संबंधित पंचायत कार्यालय से रजिस्ट्रेशन कराने के बाद प्रखंड कार्यालय में आवेदन देने पर नव विवाहिता कन्या को पांच हजार रुपये का चेक देने का प्रावधान है.

क्या कहती हैं विवाहिता

इस बाबत पूछे जाने पर चंडीनावां की विनीता कुमारी, चांदनी कुमारी, पूजा कुमारी भट्टा की संगीता कुमारी, हीरा कुमारी, मनोरमा कमारी, विरनावां की रीता कुमारी, सरोज देवी, ममता देवी, सहित दर्जनों लाभुकों की 2011-12 में शादी हुई. रजिस्ट्रेशन भी उसी समय हो गया. लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बाद भी इस योजना का लाभ नहीं मिल सका

क्या है अड़चन

साल में इस योजना का लाभ फंड में रुपये नहीं रहने से मुश्किल हो रहा है. जैसा कि प्रखंड कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2011 के बाद इसकी राशि पर्याप्त मात्र में उपलब्ध नहीं हो सकी है. जबकि हजारों आवेदन जमा हो चुके है.

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