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रेलवे कॉलोनी के पूजा पंडाल में माता का पट खुला

नवादा. रेलवे कॉलोनी के पूजा पंडाल में मां का पट मंगलवार को खुल गया. 1950 से ही स्थापित होने वाले रेलवे पूजा पंडाल ही एकमात्र ऐसा पूजा पंडाल है, जहां बंगाली पूजा होती है और षष्ठी को की मां का पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाता है. आयोजन से जुड़े चंद्रिका यादव ने कहा […]

नवादा. रेलवे कॉलोनी के पूजा पंडाल में मां का पट मंगलवार को खुल गया. 1950 से ही स्थापित होने वाले रेलवे पूजा पंडाल ही एकमात्र ऐसा पूजा पंडाल है, जहां बंगाली पूजा होती है और षष्ठी को की मां का पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाता है.
आयोजन से जुड़े चंद्रिका यादव ने कहा कि इसी परंपरा के अनुसार वर्षों से यहां पूजा होती आ रही है. सभी पूजा पंडालों में सप्तमी को मां अपने स्थान पर आती है. मंगलवार को माता की आरती व मंगल मंत्रोच्चारण के साथ पट खोला गया.
आस्था का प्रतीक है रूपौ का मां चामुंडा मंदिर
रोह. जिले से लगभग 23 किलोमीटर पूरब रोह प्रखंड के रूपौ बाजार में स्थित मां चामुंडा शक्तिपीठ आस्था का प्रतीक है. मान्यता के अनुसार, जब उग्र रूप धारण कर भगवान शंकर देवी सती के पार्थिव शरीर के साथ तांडव कर रहे थे.
तब भगवान विष्णु जी ने भगवान शिव जी के गुस्से को शांत करने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के टुकड़े-टुकड़े कर दिये. एक टुकड़ा देवी के शरीर के धड़ के रूप में रूपौ के इस स्थान पर गिरा था. हिंदू धर्म के अनुसार, जहां-जहां देवी सती के शरीर के अंग गिरे, वहां शक्तिपीठ बन गया. रूपौ के मां चामुंडा शक्तिपीठ अत्यंत पावन तीर्थ स्थल के नाम से जाना जाता है.
ऐसी मान्यता है कि जो भी इस स्थान पर आकर अपनी इच्छा रखता है, उनकी सारी मनोकामना पूरी होती है. नवरात्र के दौरान मां चामुंडा शक्तिपीठ मंदिर के गर्भगृह में माता की उपासना की जा रही है. प्रत्येक मंगलवार को मां चामुंडा माता के दर्शनके लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है.

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