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जिले में यूरिया की कितनी है जरूरत
एक अप्रैल से सितंबर तक चलनेवाले खरीफ मौसम में कुल 17 हजार मीटरिक टन यूरिया की आवश्यकता है. इसकी आपूर्ति सितंबर माह तक होनी है़, लेकिन जुलाई माह तक का जो लक्ष्य है वह आधे से भी कम है़ जुलाई माह तक यूरिया की जरूरत 92 सौ 87 मीटरिक टन है, परंतु इसकी आपूर्ति 4152.65 […]
एक अप्रैल से सितंबर तक चलनेवाले खरीफ मौसम में कुल 17 हजार मीटरिक टन यूरिया की आवश्यकता है. इसकी आपूर्ति सितंबर माह तक होनी है़, लेकिन जुलाई माह तक का जो लक्ष्य है वह आधे से भी कम है़ जुलाई माह तक यूरिया की जरूरत 92 सौ 87 मीटरिक टन है, परंतु इसकी आपूर्ति 4152.65 मीटरिक टन ही है़ इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए अब भी जिले को 5134.35 मीटरिक टन यूरिया की जरूरत है़ हालांकि विभाग की मानें, तो यूरिया की अभी जरूरत नहीं है.
धनरोपनी के एक माह बाद निकौनी के पहले इसकी जरूरत पड़ती है़ अगस्त माह के बाद से यूरिया की जरूरत किसानों को पड़ने लगती है़ तब तक यूरिया की आपूर्ति कर लिए जाने की बात विभाग बता रहा है़ अन्य फर्टिलाइजरों के लक्ष्य व आपूर्ति : यूरिया के अलावा डीएपी का लक्ष्य जिले में 22 सौ मीटरिक टन है़ इसमें जुलाई तक मात्र 1159 मीटरिक टन ही आपूर्ति जुलाई माह तक हो पायी है़ एनकेपी का लक्ष्य 1250 मिटरिक टन है़ इसमें जुलाई माह तक मात्र 610 मीटरिक टन ही उपलब्ध कराया गया है. पोटाश की उपलब्धता अब तक शून्य है.
नवादा को पायलेट प्रोजेक्ट के लिए चुना
उर्वरक व रसायन मंत्रालय, भारत सरकार ने नवादा को पायलेट प्रोजेक्ट के तहत चयन किया है़ इसके लिए अनुदान की व्यवस्था पर डीबीटी लागू करने के लिए 18 सदस्यों की टीम बनायी गयी है. इसमें डीएम को अध्यक्ष व जिला कृषि पदाधिकारी को सदस्य सह सचिव बनाया गया है़ इसमें संबंधित पदाधिकारी, बैंकों के प्रबंधक, उर्वरक की कंपनियों के अलावा थोक उर्वरक के दो बिक्रेता, खुदरा के दो बिक्रेता तथा प्रगतिशील कृषक के दो लोगों को जोड़ा गया है़
उर्वरकों के कितने और कौन हैं विक्रेता
थोक विक्रेता-11, खुदरा विक्रेता- 552, प्राथमिक कृषि साख सहयोग समितियां- 120, व्यापार मंडल- तीन, विस्कोमान- तीन, स्वावलंबी-दो है़
कब करें खाद का उपयोग
नेत्रजन की आधी, स्फूर व पोटाश की पूरी मात्रा कादो के समय तथा एक चौथाई नेत्रजन की मात्रा रोपाई के एक माह बाद व शेष एक चौथाई नेत्रजन बाली निकलने के समय व्यवहार करें. खड़ी फसल में तीन प्रतिशत ( 100 लीटर पानी में तीन किलोग्राम यूरिया) का घोल बना कर धान पर छिड़काव से पैदावार में वृद्धि होती है़ 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट खेत में डालने से सूक्ष्म पोषक तत्व की कमी पूरी होती है़
क्या है सरकारी रेट
नीम कोटेट यूरिया- 225 रुपये, इफको यूरिया- 277 रुपये, डीएपी- 1086. 50 रुपये, डीएपी स्वदेशी टीसीएल- 1138.50 रुपये, पीपीएल डीएपी- 1105 रुपये, एमओपी पोटाश- 577.50 रुपये, 2020013 यूरिया- एनपीएल 897.50 रुपये, आइपीएल 865 रुपये, कृभको 858 रुपये, इफको 818 रुपये तथा पीपीएल 872 रुपये प्रति पैकेट रेट तय है़
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