- जलशक्ति अभियान . जिले में खोजे जा रहे कुएं, तालाब, आहर व पइन
- जिले में 5400 कुएं, 823 तालाब एवं 252 आहर/पइन अब तक हो चुके हैं चिह्नित
- विभिन्न योजनाओं के माध्यम से इन्हें पुनर्जीवित करने का हो रहा प्रयास
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बहुरने लगे कुओं व तालाबों के दिन
जलशक्ति अभियान . जिले में खोजे जा रहे कुएं, तालाब, आहर व पइन जिले में 5400 कुएं, 823 तालाब एवं 252 आहर/पइन अब तक हो चुके हैं चिह्नित विभिन्न योजनाओं के माध्यम से इन्हें पुनर्जीवित करने का हो रहा प्रयास बिहारशरीफ : जब पेयजल की किल्लत हुई तो सरकार जागी और परंपरागत जलस्रोतों की खोज […]
बिहारशरीफ : जब पेयजल की किल्लत हुई तो सरकार जागी और परंपरागत जलस्रोतों की खोज होने लगी और उसे पुनर्जीवित करने का प्रयास शुरू हो गया है. केंद्र सरकार ने पानी की किल्लत वाले प्रखंडों व जिलों के लिए जलशक्ति अभियान शुरू की है.
इसके तहत परंपरागत जलस्रोत जैसे कुएं, तालाब, आहर/पइन तेजी से विलुप्त होते जा रहे थे, जिसकी मर्जी हुई इसका अतिक्रमण कर उसे भरकर मकान, बैठका आदि बना लिया.
न तो कोई देखने वाला था और न ही कोई पूछनेवाला था. जिले में पहले कुएं, तालाब, आहर/पइन इतने अधिक थे कि पानी की कमी नहीं खलती थी. लोगों को आसानी से पानी उपलब्ध होता था तथा इसके साथ ही भू-जलस्तर लगातार रिचार्ज होता रहता था.
252 आहर-पइन की हुई है खोज
जिले में आहर/पइन की खोज का जिम्मा लघु जल संसाधन विभाग को सौंपा गया है. विभाग द्वारा अब जिले में 252 आहर/पइन को चिह्नित किया गया है. इनमें से करीब 100 आहर/पइन का जीर्णोद्धार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किया जा चुका है.
नदियों की गाद हटाने की बन रही योजना
इसके अलावा जिले की नदियों को गाद हटाने के लिए भी चिह्नित किया गया है. इसके तहत पंचाने नदी की गाद हटाने की योजना तैयार की जा चुकी है. अन्य नदियों के लिए भी इस तरह की योजना बनाने की प्रक्रिया चल रही है.
जिले में 823 तालाबों की हुई है खोज
जिले में अब तक 823 तालाबों की खोज की गयी है. तालाबों की खोज के लिए जिला मत्स्य विभाग को जिम्मेदारी दी गयी है. जिला मत्स्य विभाग द्वारा जिले के सभी 20 प्रखंडों के 249 पंचायतों में खोज के बाद 823 तालाबों को चिह्नित किया गया है.
इन तालाबों में कई अतिक्रमण कर लिये गये हैं. कई तालाबों में घर व मकान बना लिये गये हैं. इन तालाबों से अतिक्रमण हटाकर उसकी खुदाई करने की योजना विभिन्न स्कीमों के तहत बनायी जा रही है.
5400 कुओं की हो चुकी है खोज
जिले में कुओं की खोज करने की जिम्मेदारी जिला पंचायती राज विभाग को दी गयी थी. विभाग ने अब तक 5400 से अधिक कुओं की पहचान की है. इनमें से अधिसंख्य कुएं मृतप्राय हो चुके थे. इन कुओं को पुनर्जीवित करने की जिम्मेदारी पीएचइडी को दी गयी है.
पीएचइडी द्वारा कुओं की उड़ाही का कार्य शुरू कर दिया गया है. अब तक 40 से अधिक कुओं की उड़ाही की जा चुकी है. पीएचइडी द्वारा वैसे कुओं को पुनर्जीवित करने में प्राथमिकता दी जा रही है, जिसका सामुदायिक इस्तेमाल होता था.
क्या कहते हैं अधिकारी
तेजी से गिरे रहे भू-जल स्तर को नियंत्रित करने तथा भू-जल स्तर को ऊपर लाने में परंपरागत जलस्रोत बड़े कारक हैं. जल शक्ति अभियान के तहत जिले के तालाब, कुओं व आहर/पइन को चिह्नित कर उसे पुनर्जीवित करने का प्रयास शुरू कर दिया गया है. अब तक जिले में 5400 कुएं, 823 तालाब एवं 252 आहर/पइन चिह्नित किये गये हैं.
योगेंद्र सिंह, जिलाधिकारी, नालंदा
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