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मनुष्य में होती है जन्मजात प्रतिभा

* आइएमए भवन में सेमिनार में लोगों को दी गयी फिंगर प्रिंट्स की जानकारीबिहारशरीफ : आइएमए हॉल में रविवार को डरमेटोग्लीफिक्स मल्टीपल इंटेलिजेंस टेस्ट (डीएमआइटी) के तहत जीनियस माइंड द्वारा सेमिनार का आयोजन किया गया. इसमें जीनियस माइंड के क्षेत्रीय प्रबंधक रविकांत घोष ने बताया कि डरमेटोग्लीफिक्स विज्ञान की एक शाखा है, जिसके माध्यम से […]

* आइएमए भवन में सेमिनार में लोगों को दी गयी फिंगर प्रिंट्स की जानकारी
बिहारशरीफ : आइएमए हॉल में रविवार को डरमेटोग्लीफिक्स मल्टीपल इंटेलिजेंस टेस्ट (डीएमआइटी) के तहत जीनियस माइंड द्वारा सेमिनार का आयोजन किया गया. इसमें जीनियस माइंड के क्षेत्रीय प्रबंधक रविकांत घोष ने बताया कि डरमेटोग्लीफिक्स विज्ञान की एक शाखा है, जिसके माध्यम से मस्तिष्क का विश्लेषण किया जाता है.

इसके तहत मनुष्य की जन्मजात प्रतिभा, कैरियर विकल्प सहित कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती हैं, जो मनुष्य के उज्ज्वल भविष्य के निर्धारण में सहायक है. उन्होंने बताया कि यह तकनीक का प्रयोग एशियाई देशों में काफी प्रचलित है. विगत कुछ वर्षो से देश के कुछ प्रमुख शहरों दिल्ली, मुंबई, सूरत, बंगलोर आदि में इस तकनीक का उपयोग हो रहा है. आज यह सुविधा बिहारशरीफ में भी उपलब्ध है.

श्री घोष ने बताया कि डरमेटोग्लीफिक्स मेडिकल साइंस से जुड़ी एक शाखा है, जिसके अंतर्गत किसी इनसार के फिंगर प्रिंट्स के माध्यम से उनके मस्तिष्क का अध्ययन किया जाता है. मानव मस्तिष्क में पांच नोट्स होते हैं जिन्हें दो हिस्सों में बांटा गया है – लेफ्ट ब्रेन व राइट ब्रेन. श्री घोष ने बताया लेफ्ट ब्रेन के पांचों लोब्स हमारे दायें हाथ के पांचों अंगुलियों से जुड़ा है. राइट ब्रेन हमारे बायें हाथ से जुड़ा होता है. पांच लोब्स का काम अलग-अलग होता है.

फिंगर प्रिंट्स की मदद से इन लोब्स की संरचना उनके अंदर स्थित ब्रेन सेल्स की सघनता के आधार पर उसकी क्षमता को जानने में मदद मिलती है. जिस लोब में ब्रेन सेल्स ज्यादा सधन होते हैं, उस लोब से जुड़े कार्य करने में संबंधित व्यक्ति को कोई मानसिक दबाव नहीं होता है एवं उस कार्य में दक्षता होती है. वह क्षेत्र उस व्यक्ति के जन्मजात टैलेंट में से एक है.

डीएमआइटी में फिंगर प्रिंट्स के विश्लेषण के आधार पर उससे जुड़े लोब्स की संरचना की जानकारी होती है, जो किसी इनसान के इनबॉर्न टैलेंट को पढ़ने का सबसे उपयुक्त तरीका है. फिंगर प्रिंट्स के द्वारा हमें पता चलता है कि हमें कैसे पढ़ना चाहिए और कौन सा लक्ष्य बना कर क्या पढ़ना चाहिए जो कि आनेवाले भविष्य को सुखद बना सके. इस अवसर पर संस्था के स्थानीय संचालक नवीन भारती, रिजनल को-ऑर्डिनेटर मि. रविकांत, विनोद कुमार सिंह, रंजीत कुमार आदि मौजूद थे. इस सेमिनार में 250 छात्र-छात्राओं व उनके अभिभावक मौजूद थे.

– डरमेटोग्लीफिक्स टेस्ट
* डरमेटोग्लीफिक्स फिंगर प्रिंट्स की रचना के बारे में बताता है.
* अंगुलियों के निशान किसी के जीवन में कभी नहीं बदलता है.
* अंगुलियों के निशान का निर्माण मां के गर्भ में भ्रूण अवस्था में होता है.
* मस्तिष्क और फिंगर प्रिंट्स का विकास एक साथ होता है.
* फिंगर प्रिंट्स की रचना ब्रेन सेल्स के विकास के अनुसार होता है.
* प्रत्येक अंगुली हमारे मस्तिष्क के अलग-अलग हिस्सों को दरसाता है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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