काॅलेजों के संबंधन विस्तार या स्थायी संबंधन पर फैसला नहीं होने से बढ़ी बेचैनी
वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर
चार वर्षीय स्नातक कोर्स में नामांकन के लिए आवेदन की शुरुआत हो गयी है. सत्र 2025 – 29 में नामांकन के लिए विवि का पोर्टल खोला जा चुका है. स्नातक नामांकन पोर्टल से करीब एक दर्जन काॅलेजों का नाम हटा दिया गया है. ऐसे में बीआरएबीयू में संबंधन पर निर्णय नहीं होने से नये सत्र में स्नातक नामांकन की प्रक्रिया से एक दर्जन से अधिक काॅलेज बाहर हो गये हैं. मौजूदा सत्र के लिए अब तक काॅलेजों के संबंधन विस्तार या स्थायी संबंधन पर फैसला नहीं होने से छात्र-छात्राओं के साथ-साथ अब काॅलेज संचालकों की भी बेचैनी बढ़ गयी है.
एक दर्जन से अधिक काॅलेजों को सबसे पहले चार वर्षीय स्नातक कोर्स के लिए सत्र 2023-27 में संबंधन प्रदान किया गया. उन्हें दो सत्रों के लिए संबंधन दिया गया था. इस आधार पर सत्र 2024-28 में भी वहां नामांकन की प्रक्रिया हुई, लेकिन नये सत्र में संबंधन पर अब तक कोई निर्णय नहीं होने के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. काॅलेज संचालक लगातार विवि में पहुंचकर अपनी समस्याओं से प्रशासन को अवगत करा रहे हैं. विवि के अधिकारी ने बताया कि काॅलेज लगातार संपर्क कर अपनी समस्याओं से अवगत करा रहे हैं. पोर्टल खुल चुका है. दूसरी ओर छात्र-छात्राओं को इन काॅलेजों का विकल्प नहीं मिल रहा है. ऐसे में दूरदराज के क्षेत्रों के छात्र-छात्राओं के लिए नजदीकी काॅलेजों में नामांकन पाना काफी मुश्किल हो सकता है.इन काॅलेजों में कई काॅलेज ऐसे हैं जो अपने प्रखंड के इकलौते काॅलेज हैं. इन काॅलेजों में काफी संख्या में छात्र-छात्राएं नामांकन लेते हैं.देरी होने से स्टूडेंट्स की बढ़ी मुश्किलें
बीआरएबीयू में देर से आवेदन प्रक्रिया शुरू होने के कारण प्रशासन के स्तर से एक महीने का एक्सटेंशन मांगा गया. विस्तारित अवधि की समय सीमा 20 अप्रैल को समाप्त हो गई है. बता दें कि शैक्षणिक सत्र 2025 – 29 के लिए शिक्षा विभाग के स्तर से संबंधन संबंधित प्रस्ताव की प्रक्रिया देर से शुरू हुई. नये सत्र के लिए 15 सितंबर से शुरू होने वाली आवेदन प्रक्रिया नवंबर के आखिरी दिनों में शुरू हुई. संबंधन पोर्टल के मेंटेनेंस के नाम पर देरी हुई. इसके बाद काॅलेजों ने आवेदन किया. राज्य सरकार के स्तर से 20 मार्च तक विवि के विभिन्न विधायी निकायों से संबंधन संबंधी प्रस्ताव पारित कराते हुए राज्य सरकार को भेजना था. ऐसे में शिक्षा विभाग की देरी का खामियाजा छात्र-छात्राओं से लेकर काॅलेज संचालकों तक को भुगतना पड़ रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है