Bihar Bhumi: मुजफ्फरपुर जिले में जमीन की खरीद-बिक्री की तैयारी कर रहे लोगों की जेब पर बोझ बढ़ने वाला है. प्रशासन बाजार दर के समतुल्य सरकारी रेट (एमवीआर) तय करने की कवायद में जुट गया है. इस रिवीजन का सबसे बड़ा असर जिले के नए नगर पंचायतों और नेशनल और स्टेट हाईवे से सटी जमीनों पर पड़ने वाला है.
सरकार का मुख्य फोकस उन क्षेत्रों पर है जहां पिछले कुछ वर्षों में शहरीकरण की वजह से जमीनों की कीमतें आसमान छू रही हैं, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में वे अब भी पुराने ग्रामीण रेट पर ही टिकी हैं.
ऑफिस अपने स्तर से महज 10 प्रतिशत एक्स्ट्रा शुल्क लेकर रजिस्ट्री कर रहा है. जिले के जिन नए नगर पंचायतों में रेट बढ़ने की संभावना है, उनमें सकरा, मुरौल और कुढ़नी का तुर्की, माधोपुर सुस्ता, मीनापुर, सरैया, बरूराज और नगर निगम का विस्तारित क्षेत्र शामिल है.
रेट बढ़ने के कारण को समझे
दरअसल, ग्राम पंचायत से नगर पंचायत का दर्जा मिलने के बाद इन क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं (सड़क, नाली, बिजली) का विस्तार हुआ है. इस कारण यहां रियल एस्टेट और व्यावसायिक गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं. वर्तमान में इन इलाकों में जमीनों की वास्तविक खरीद-बिक्री (मॉर्केट रेट) सरकारी दर से कहीं अधिक है. सरकार को होने वाले राजस्व घाटे को रोकने के लिए विभाग एमवीआर को अपडेट कर रहा है. ताकि, सरकारी खजाने में भरपूर राजस्व की प्राप्ति हो सके.
एनएच और एसएच किनारे की जमीन होगी प्रीमियम
नेशनल हाइवे (एनएच) और स्टेट हाइवे (एसएच) के किनारे की जमीनें अब निवेश का सबसे बड़ा केंद्र बन गई हैं. नये बाइपास और फोरलेन परियोजनाओं के कारण इन क्षेत्रों की कॉमर्शियल वैल्यू बढ़ गई है. नये पुनरीक्षण में हाइवे से सटे खेतों को व्यावसायिक श्रेणी में डालकर उनका रेट बढ़ाया जा सकता है, जिससे रजिस्ट्री शुल्क में अच्छी-खासी बढ़ोतरी होगी.
बिहार की ताजा खबरों के लिए क्लिक करें
निवेशकों और खरीदारों पर असर
एमवीआर बढ़ने से मध्यम वर्गीय खरीदारों के लिए घर बनाना महंगा हो जायेगा. इससे सरकारी रिकॉर्ड में संपत्ति की कीमत बढ़ेगी, जिससे बैंक लोन मिलने में आसानी होगी. तत्काल रूप से रजिस्ट्री के समय दी जाने वाली स्टाम्प ड्यूटी और निबंधन शुल्क का ग्राफ काफी ऊपर चला जायेगा. इससे जमीन की खरीद-बिक्री में कमी भी आ सकती है.
जिला अवर निबंधक मुजफ्फरपुर (District Sub Registrar Muzaffarpur) मनीष कुमार ने कहा कि नगर पंचायत बनने के बाद कई क्षेत्रों की जमीनों की प्रकृति बदल गई है. पुरानी दरों के कारण सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है. बाजार भाव को आधार बनाकर नया एमवीआर तय किया जाना है. विभाग से जो आवश्यक जानकारी मांगी गयी है, उसे भेजी जा रही है.
इसे भी पढ़ें: महिलाओं को एक साथ नहीं मिलेंगे दो लाख, आवेदन की अंतिम तिथि होगी फिक्स, सरकार ने दिया बड़ा अपडेट
इसे भी पढ़ें:सावधान! बिहार के 15 जिलों में ऑरेंज और 23 जिलों में येलो अलर्ट, मौसम विभाग ने जारी की कोल्ड डे की चेतावनी

