: साइबर थाने की पुलिस ने केस की जांच किया तेज : राजस्थान में एटीएम से निकाली गयी थी फ्रॉड की राशि : बैंक प्रबंधन व राजस्थान पुलिस को भी भेजा ई- पत्र संवाददाता, मुजफ्फरपुर जिलाधिकारी के नाम पर फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाकर मैसेज करके अहियापुर के प्रिंटिंग प्रेस संचालक अमरेंद्र कुमार से 1.33 लाख की ठगी में साइबर थाने की पुलिस ने जांच तेज कर दी है. फर्जी आइडी का यूआरएल से उसके असली धारक का पता करने के लिए साइबर पुलिस ने मेटा (पहले फेसबुक) को ईमेल भेजा है. साथ ही राजस्थान में जहां- जहां एटीएम से फ्रॉड की गयी राशि की निकासी की गयी , इसकी जानकारी के लिए राजस्थान पुलिस के साइबर सेल को ईमेल भेजा गया है. इसके अलावा जिन- जिन बैंक अकाउंट में फ्रॉड की राशि भेजी गयी उसके बारे में विस्तृत जानकारी जुटाने के लिए संबंधित बैंक के प्रबंधन को भी ई- पत्र भेजा गया है. साइबर डीएसपी हिमांशु कुमार ने बताया कि एफआइआर दर्ज होने के बाद से ही इस मामले की गहनता से जांच की जा रही है. साइबर फ्रॉड के मुख्य स्रोत का पता लगाने के लिए, पुलिस ने अपराधियों द्वारा इस्तेमाल किए गए फर्जी फेसबुक प्रोफाइल की जानकारी मेटा से मांगी है. अधिकारियों को उम्मीद है कि मेटा से मिली जानकारी के आधार पर अपराधी की पहचान करना आसान होगा. इसके अलावा, जांच टीम ने राजस्थान पुलिस से भी संपर्क किया है. साइबर अपराधियों ने मुजफ्फरपुर के कारोबारी से ठगे गए पैसे को राजस्थान के कई एटीएम से निकाला था. इन एटीएम का सीसीटीवी फुटेज हासिल करने के लिए मुजफ्फरपुर पुलिस ने राजस्थान पुलिस को एक विशेष अनुरोध भेजा है. यह फुटेज मिलने के बाद अपराधियों की पहचान में बड़ी मदद मिलेगी.जांच से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि ठगी की राशि जिन-जिन बैंक खातों में भेजी गई थी, उन बैंकों के प्रबंधन को भी ईमेल भेजकर खाताधारकों की जानकारी मांगी गई है. खातों को फ्रीज कराने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है ताकि ठगे गए पैसे को आगे इस्तेमाल न किया जा सके. जानकारी हो कि, अहियापुर के शेखपुर निवासी अमरेंद्र कुमार को बीते तीन अगस्त को जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन के फर्जी फेसबुक आइडी बनाकर साइबर अपराधियों ने मैसेंजर पर मैसेज किया था. इसमें कहा था कि उनका एक मित्र जो सीआरपीएफ में अधिकारी है, उनका तबादला हो गया है. तुम प्रिंटिंग प्रेस चलाते हो तुम्हारे लिए सामान सही रहेगा. 14 और 15 अगस्त को अलग- अलग मोबाइल नंबर से साइबर अपराधियों ने कॉल करके उसका भरोसा जीत लिया. सामान के नाम पर उससे 1.33 लाख रुपये यूपीआइ पर मंगवा लिया. इसके बाद मैसेंजर पर मैसेज डिलीट करने लगा तो संदेह हुआ कि वह साइबर फ्रॉड का शिकार हो गया है. फिर, साइबर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी है.
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