बदल रही चतुर्भुज स्थान के रेड लाइट एरिया की तस्वीरपुलिस और समाजसेवियों की पहल से साकार हो रहा सपना
उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर. आम तौर पर रेड लाइट एरिया बदनाम गलियों के नाम से जाना जाता है, यहां के अधिकतर बच्चे पढ़ाई-लिखाई से दूर रहते हैं और बड़े होने पर सामाजिक पहचान भी नहीं मिलती, लेकिन शहर के रेड लाइट एरिया की तस्वीर बदल रही है. यह बदलाव यहां के पुलिस अधिकारियों और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सलाहकार नसीमा खातून की पहल से हुआ है. यहां के कन्हौली ओपी में पिछले साल 15 जनवरी को पुलिस पाठशाला की स्थापना कर इस एरिया के रेड लाइट और वंचित समुदाय के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम से जोड़ा गया. वैसे बच्चे जो दिन भर इधर-उधर भटकते थे, उनकी शिक्षा की व्यवस्था की गयी. तत्कालीन सिटी एसपी सहित अन्य अधिकारी खुद आकर बच्चों को पढ़ाने लगे. बच्चों को अनुशासन सिखाया गया और शिक्षा का महत्व भी बताया गया. जिन परिवारों के लोग अपने बच्चों को यहां नहीं भेजते थे. उनके घर जाकर उन्हें समझाया गया. समय के साथ यहां बच्चों की संख्या बढ़ने लगी. कन्हौली ओपी के प्रभारी और पुलिस जवान शिक्षा व्यवस्था की मॉनीटरिंग करने लगे. महज एक साल में ही इस इलाके की रंगत बदल गयी. फिलहाल यहां 30 बच्चे नियमित पढ़ाई कर रहे हैं.
बैंककर्मी ने दिया कंप्यूटर, बच्चे ले रहे बेसिक प्रशिक्षण
पुलिस पाठशाला में पिछले दिनों एक बैंककर्मी ने कंप्यूटर दिया है. एसएसपी विश्वजीत दयाल ने बच्चों को कंप्यूटर के बारे में बताया. अब यहां के बच्चों को सप्ताह में तीन दिन कंप्यूटर का बेसिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है. दूसरा कंप्यूटर भी यहां आने वाला है. बच्चों को पढ़ाने के लिए यहां जितलेश कुमार, नाका कांस्टेबल छोटू कुमार, नसीमा खातून, आरिफ सहित चार लोग नियमित समय देते हैं. यहां के बच्चों को ड्रेस और किताबें भी डोनेट की जाती है. इसमें पुलिस पदाधिकारियों का भी सहयोग रहता है. पिछले एक साल में बच्चों में पढ़ाई की ललक पैदा हो गयी है. अब वे नियमित तौर पर पुलिस पाठशाला में पढ़ने आ रहे हैं.
जीविका समूह से जुड़ रहीं बच्चे की माताएं वंचित समुदाय के बच्चे की माताएं अब जीविका समूह से जुडृ कर स्वरोजगार चुन रही हैं. इससे भी इस एरिया के माहौल में बदलाव आ रहा है. यहां की महिलाएं फिलहाल सिलाई समूह से जुड़ी हैं. जिसमें एक सुपरवाइजर भी हैं. इन महिलाओं को अच्छी संख्या में सिलाई का ऑर्डर भी मिल रहा है. इसके अलावा कुछ महिलाएं खाने-पीने के स्टॉल लगाने की तैयारी में हैं. सामाजिक कार्यकर्ता नसीमा खातून कहती हैं कि आने वाले समय में रेड लाइट एरिया की दशा बदल जाएगी. अब यहां की गलियां बदनाम नहीं रहेगी. यहां के बच्चे भी पढ़-लिख कर मुख्यधारा में शामिल हो सकेंगे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है