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मुजफ्फरपुर में AES का कहर: कंट्रोल रूम का काट लिया फीता, पर प्रभारी तैनात करना भूला स्वास्थ्य विभाग

मुजफ्फरपुर में डीएम के निर्देश के बाद स्वास्थ्य विभाग ने सदर अस्पताल में एइएस कंट्रोल रूम की शुरुआत तो कर दी, लेकिन इसका प्रभारी बनाना भूल गया. डीएम ने कहा कि चमकी को हराने के लिए जिला स्तरीय नियंत्रण कक्ष की शुरुआत की गयी है.

मुजफ्फरपुर में डीएम के निर्देश के बाद स्वास्थ्य विभाग ने सदर अस्पताल में एइएस कंट्रोल रूम की शुरुआत तो कर दी, लेकिन इसका प्रभारी बनाना भूल गया. कंट्रोल रूम में दस शिक्षकों को प्रशिक्षित कर प्रतिनियुक्त किया गया है, जो यहां आने वाले फोन पर बीमार बच्चों को निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाने की जानकारी देंगे और एंबुलेंस मुहैया कराएंगे.

डीएम ने गुरुवार को कंट्रोल रूम का उद्घाटन किया

डीएम प्रणव कुमार ने गुरुवार को कंट्रोल रूम का उद्घाटन किया. उन्होंने जब कंट्रोल रूम के प्रभारी के बारे में पूछा, तो स्वास्थ्य अधिकारी एक-दूसरे का मुंह देखने लगे. किसी ने डॉ सीके दास का नाम लिया, तो किसी ने कहा कि डॉ उदय शंकर हैं. डीपीएम बीपी वर्मा ने कहा, आदेश निकला हुआ है सर. इस बात पर डीएम बिफर पड़े.

अस्पताल प्रबंधक को स्पष्टीकरण का निर्देश

इसी बीच उनकी नजर कंट्रोल रूम के टेबल पर पड़ी. धूल से भरे टेबल और फोन को देख उन्होंने फौरन डीपीएम बीपी वर्मा और अस्पताल प्रबंधक प्रवीण कुमार का तीन दिनों का मानदेय काटने और स्पष्टीकरण का निर्देश दिया.

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कंट्रोल रूम के प्रभारी को मॉनीटरिंग का आदेश

डीएम ने कंट्रोल रूम के काम के बारे में पूछा, तो बताया गया कि यहां एइएस से संबंधित कोई फोन आता है, तो उसे निकटम स्वास्थ्य केंद्र की जानकारी दी जायेगी. डीएम ने कहा कि अगर यह कंट्रोल रूम सिर्फ फोन रिसीव करने के लिए है, तो इसका कोई फायदा नहीं है. यहां से सभी पीएचसी को फोन कर एइएस से संबंधित बच्चों के पहुंचने और इलाज की जानकारी लें और उसे लिखें. कंट्रोल रूम के प्रभारी इसकी मॉनीटरिंग करें.

मौके पर कई अधिकारी मौजूद रहें

मौके पर उप विकास आयुक्त आशुतोष द्विवेदी, सहायक समाहर्ता श्रेष्ठ अनुपम, जिला जनसंपर्क अधिकारी कमल सिंह, नोडल पदाधिकारी एइएस डॉ सतीश कुमार, डॉ एके पांडेय, केयर के जिला प्रतिनधि सौरभ तीवारी, यूनिसेफ के जिला प्रतिनधि राजेश कुमार थे.

एइएस वार्ड में लटका रहा ताला

सदर अस्पताल में एइएस से संबंधित लक्षण वाले बच्चों के इलाज की जानकारी के लिए कंट्रोल रूम की शुरुआत तो हो गयी, लेकिन यहां बने एइएस वार्ड में ताला लटका रहा. यहां के एइएस वार्ड में अब तक न डॉक्टर की तैनाती हुई है और न ही पारामेडिकल स्टाफ की. हालत ऐसी है कि यहां एइएस का संदिग्ध बच्चा इलाज के लिए आ जाये, तो उसके परिजन को वापस जाने के अलावा दूसरा उपाय नहीं है. ओपीडी बंद होने के बाद इमरजेंसी के डॉक्टर ही बच्चे को देखेंगे. एइएस वार्ड तैयार नहीं होने के कारण बच्चों को एइएस प्रोटोकॉल के तहत इलाज होना मुश्किल है.

24 घंटे काम करेगा एइएस कंट्रोल रूम

डीएम ने कहा कि चमकी को हराने के लिए जिला स्तरीय नियंत्रण कक्ष की शुरुआत की गयी है. इसके लिए तीन नंबर 18003456629, 0621-2266056 और 0621-2266055 को डायल कर एइएस से संबंधित किसी भी तरह की समस्या का निदान किया जा सकेगा. यहां रोस्टर के हिसाब से 24 घंटे कर्मियों को प्रतिनियुक्त किया गया है. टॉल फ्री नंबर की पहुंच को सर्वसुलभ बनाने के लिए व्यापक तौर पर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. इसके लिए पंपलेट, पोस्टर सहित महादलित बस्तियों में बैनर और दीवार लेखन भी किया जायेगा.

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