मीनापुर : डीएम आलोक रंजन घोष बुधवार को मीनापुर के रघई गांव के लिए बोट से निकले. लेकिन, रास्ता भटक गये. बाढ़ पीड़ित रघई बांध पर डीएम की प्रतीक्षा में खड़े थे और डीएम को रघई का लोकेशन ही नहीं मिल रहा था. आखिरकार डीएम को बोट छोड़ किनारे आना पड़ा. इस दौरान मीनापुर के अंचलाधिकारी ने उन्हें लाइव लोकेशन भी भेजा. एनडीआरएफ की दो टीमों को उन्हें ढूंढ़ने को लगाया गया. करीब तीन घंटे के बाद वह रघई घाट पहुंच पाये.
डीएम पूर्वाह्न करीब 11 बजे सिकंदरपुर सीढ़ी घाट से बोट से निकले. उनके साथ एसडीओ, पूर्वी कुंदन कुमार, मुशहरी के सीओ नागेंद्र कुमार और एनडीआरएफ के जवान भी बोट पर थे. वह सबसे पहले जगन्नाथ मिश्र कॉलेज के पास निर्माणाधीन पुल के पास गये. फिर छींट भगवतीपुर, दादर, संगम होते हुए कांटी की ओर बढ़े. वहां से रघई घाट की ओर चले तो भटक गये. करीब दो बजे जदयू के प्रखंड अध्यक्ष पंकज किशोर पप्पू ने उनसे संपर्क किया. उन्होंने कहा कि वह कांटी पहुंच चुके हैं. कुछ मिनट में वहां पहुंच रहे हैं.
जब काफी समय बीत गया तो अफसरों को चिंता होने लगे. सीओ ज्ञानदीप श्रीवास्तव व अन्य अधिकारियों ने व्हाटसएप पर लाइव लोकेशन भेजा. इसके बाद उन्होंने फोन पर बताया कि रघई का लोकेशन नहीं मिल रहा है. थक-हार कर डीएम ने मैसेज भेजा कि वह डुमरिया के आसपास खड़े हैं और बोट से पहुंचने में सक्षम नहीं हैं. बीडीओ, सीओ, उप प्रमुख रंजन सिंह व जदयू के प्रखंड अध्यक्ष पंकज किशोर पप्पू आदि डीएम की खोज में निकले. इसके बाद एनडीआरएफ की टीम भी दो गाड़ियों से खोजने के लिए निकली. सबने डीएम को डुमरिया गांव में रिसीव किया. डीएम उप प्रमुख के वाहन पर सवार होकर रघई पहुंचे. पांच घंटे से इंतजार में खड़े बाढ़ पीड़ित व जनप्रतिनिधियों से उन्होंने करीब 15 मिनट बात की और फिर वापस मुजफ्फरपुर के लिए निकल गये.