राजेंद्र सहनी का पेट फाड़ा, डीएमसीएच में भर्ती
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मुजफ्फरपुर के कटरा में तेंदुआ ने आठ लोगों को किया जख्मी, घेराबंदी कर लोगों मार डाला
राजेंद्र सहनी का पेट फाड़ा, डीएमसीएच में भर्ती कटरा : थाना क्षेत्र की तेहवारा पंचायत के चिचरी गांव में तेंदुआ ने हमला कर आठ लोगों को घायल कर दिया. राजेंद्र सहनी का पेट फाड़ दिया.करीब दो घंटे तक तेंदुआ के आतंक से पूरा इलाका सहमा रहा. लोगों ने हिम्मत जुटाते हुए एक घर में तेंदुआ […]
कटरा : थाना क्षेत्र की तेहवारा पंचायत के चिचरी गांव में तेंदुआ ने हमला कर आठ लोगों को घायल कर दिया. राजेंद्र सहनी का पेट फाड़ दिया.करीब दो घंटे तक तेंदुआ के आतंक से पूरा इलाका सहमा रहा. लोगों ने हिम्मत जुटाते हुए एक घर में तेंदुआ को घेर लिया. उसे लाठी, डंडा समेत अन्य धारदार हथियार से मार डाला. उसे देखने के लिए काफी संख्या में लोग जुट गये. ग्रामीणों ने उसे जमीन में गाड़ दिया.लेकिन कुछ देर बाद पहुंचे वन विभाग के अधिकारियों ने मिट्टी खोद कर उसे बाहर निकाला.
फिर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. सुबह सात बजे से साढ़े आठ बजे तक क्षेत्र में तेंदुआ का आंतक कायम रहा.घटना की सूचना मिलने पर जमादार प्रकाश कुमार, डीएफओ सुधीर कुमार कर्ण सहित अन्य लोग घटनास्थल पर पहुंचे. तेंदुआ की लंबाई लगभग पांच फुट था. घटना से ग्रामीणों में भय व दहशत का माहौल है. डीएफओ ने कहा कि संभवतः तेंदुआ बागमती नदी के किनारे से होते हुए नेपाल से यहां तक पहुंचा है. हो सकता है वह भोजन और पानी के लिए रास्ता भटक गया हो.
गेहूं काटते समय तेंदुआ पर पड़ी नजर: तेंदुआ के हमले में घायल गणेश सहनी ने बताया कि गांव के नंदु ठाकुर अपने खेत में गेहूं काट रहे थे. साथ में उनका 14 वर्षीय पुत्र जितेंद्र कुमार भी था. उसने तेंदुआ को देखा तो गांव के लोगों को इसकी खबर दी. वहां से परिवार के लोगों को घर भेज दिया. रास्ते में जितेंद्र घर आ रहा था, तो देखा कि तेंदुआ बांस की ओट में छुपा है.
वह खड़ा होकर उसे देखने लगा. तब तक तेंदुआ ने उस पर हमला कर दिया. लोगों ने जब तेंदुआ का आक्रमण देखा तो बीच बचाव करने के लिए दौड़े. लोगों को आते देख वह भाग कर जगन्नाथ सहनी के आंगन में घुसा, लेकिन आंगन में कोई नहीं था. घर की महिलाएं घरों में घुसकर जान बचायी. दीवार फांद कर बाहर निकल गया. जगन्नाथ सहनी की पत्नी ने कहा कि हम दूध लाने के लिए घर से बाहर गये थे. तेंदुआ दीवार से छलांग लगा कर आंगन से बाहर निकल गया.
तेंदुआ से पांच मिनट लड़ा अनरजीत सहनी : उसके 11 वर्षीय पुत्र नीतीश सहनी पर हमला कर दिया. नीतीश सहनी का बड़ा भाई 21 वर्षीय अनरजीत सहनी अपने भाई व मां के बीच बचाव करने के लिए तेंदुआ पर अकेले टूट पड़ा. मां व भाई को घर में भेजकर अकेले लड़ने लगा. लगभग पांच मिनट तक वह तेंदुआ से अकेले लड़ता रहा. उसके बाद मां व भाई ने भी लाठी से हमला करना शुरू किया तो वह छलांग लगा कर भाग निकला. जान बचाने व तेंदुआ को देखने के लिए ग्रामीण बगल के विद्यालय की छत पर चढ़ गये.
कुछ लोग शिवकुमार सहनी के घर में घुसकर तेंदुआ को देखने लगे. फिर तेंदुआ ने खुली खिड़की होने के कारण घर में छलांग लगा दिया. राजेंद्र सहनी पर हमला कर दिया. उसका पेट फाड़ दिया. वहीं पर मन्नी सिंह को भी घायल कर दिया. तभी आसपास में पहले से ही जुटे सैकड़ों लोगों ने उस पर हमला कर दिया. लाठी डंडा से हमला कर तेंदुआ को वहीं पर गिरा दिया. उसके बाद भाला और अन्य धारदार हथियार से वार कर उसको मार डाला. तेंदुआ ने पोखर किनारे रात्रि विश्राम किया था. वहीं पर एक कुत्ते और एक बिल्ली को मारकर अपना निवाला बनाया था.
हमले में आठ लोग जख्मी : तेंदुआ के आक्रमण से गांव के आठ आदमी घायल हो गये. घायलों में गणेश सहनी(41), अनरजीत सहनी(21), नीतीश सहनी(11), जितेन्द्र सहनी (14), राजेन्द्र सहनी (52), कोमल कुमारी (11), रजीया देवी(50), मुन्नी सिंह(20) शामिल हैं. सभी घायलों को सिघवाड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया. वहां राजेंद्र सहनी को गंभीर हालत में देखते हुए प्राथमिक उपचार के बाद डीएमसीएच भेज दिया गया. अन्य लोगों को प्राथमिक उपचार के बाद छोड़ दिया गया.
कभी इस क्षेत्र में नहीं आया था तेंदुआ : रामजी साह(75), रामलखन साह(80), सोगारथ पासवान( 85 वर्षीय) सहित अन्य लोगों का कहना है कि हमलोगों ने कभी भी इस क्षेत्र में तेंदुआ को नहीं देखा था. और अपने दादा, परदादा से भी यहां तेंदुआ के आने के बारे में नहीं सुना था. इस तरह के आक्रामक जानवर आने से लोगों में दहशत का माहौल है. ग्रामीण शत्रुघ्न साह का कहना है कि गांव में भय व्याप्त है.
वन विभाग में तेंदुआ का हुआ पोस्टमार्टम : तेंदुआ के तेहवारा पंचायत के चिचरी गांव में होने की सूचना पर जब तक वन विभाग के अधिकारी पहुंचे, तब तक गांव वालों ने उसे मार गिराया था. इसके बाद वन विभाग की टीम मरे तेंदुआ को लेकर गन्नीपुर स्थित वन विभाग के कार्यालय पहुंचे. जहां पटना चिड़ियाघर से आये डॉक्टर समरेंद्र प्रताप सिंह ने उसका पोस्टमार्टम किया.
क्या है वाइल्ड लाइफ एक्ट 1972 : वन्य जीव संरक्षण अधिनियम,1972 में वन्यजीवों के शिकार पर कड़ी सजा का प्रावधान है. इस अधिनियम की अनुसूची 1 और अनु. 2 के तहत अवैध शिकार, अभयारण्य या राष्ट्रीय उद्यान को क्षति पहुंचाने पर कम से कम 3 साल की सजा है जो 7 साल तक बढ़ाई जा सकती है. इसके साथ ही जुर्माना 25 हजार तक लग सकता है. वन्यजीवों के प्रति अपराध करने के लिये इस्तेमाल किये गये किसी भी उपकरण, वाहन या हथियार को जब्त करने का भी इस कानून में प्रावधान है.
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