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स्कूलों के लिए बनी कचरा प्रबंधन की योजना कूड़ेदान में!

धनंजय पांडेय, मुजफ्फरपुर : सरकारी स्कूलों में कचरा प्रबंधन के लिये तैयार योजना को ही विभागीय अधिकारियों ने कूड़ेदान में डाल दिया. बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने विशेष सफाई अभियान के तहत कचरा प्रबंधन की योजना तैयार की थी. इसमें स्कूलों से निकलने वाले कचरे को एकत्र कर कंपोस्ट खाद तैयार करना था. राज्य मुख्यालय […]

धनंजय पांडेय, मुजफ्फरपुर : सरकारी स्कूलों में कचरा प्रबंधन के लिये तैयार योजना को ही विभागीय अधिकारियों ने कूड़ेदान में डाल दिया. बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने विशेष सफाई अभियान के तहत कचरा प्रबंधन की योजना तैयार की थी. इसमें स्कूलों से निकलने वाले कचरे को एकत्र कर कंपोस्ट खाद तैयार करना था.
राज्य मुख्यालय से सभी जिलों को निर्देश भी भेजा गया. इसके बाद भी अधिकारियों ने कोई सुधि नहीं ली. शिक्षक भी इसको लेकर पूरी तरह उदासीन बने रहे. स्थिति यह है कि स्कूलों से निकलने वाला कचरा आस-पास ही फेंक दिया जाता है. वहीं, कई स्कूलों में सड़ांध के चलते बैठना भी मुश्किल हो जाता है.
हर माह निकलता है 375 क्विंटल कचरा : जिले में 3400 प्राथमिक व मध्य विद्यालय हैं. अगर तीन हजार स्कूलों में भी योजना शुरू हो गयी, तो महीने में लगभग 375 क्विंटल कचरा एकत्र किया जा सकता है. औसतन एक स्कूल में प्रतिदिन पांच किलो कचरा ही निकले, तो सभी स्कूलों को मिलाकर 15 हजार किलोग्राम होगा. इस तरह महीने के 25 दिन में तीन लाख 75 हजार किलो कचरा स्कूलों से निकलता है, जिसका कृषि के लिए उपयोग किया जा सकेगा.
कचरे से आ सकती है खेतों में हरियाली
सरकारी स्कूलों से निकलने वाले कचरे का कंपोस्ट खाद तैयार कर उपयोग में लाने से खेतों में फसल लहलहा सकती है. प्राथमिक व उच्च विद्यालयों में हर रोज निकलने वाले कचरे को इधर-उधर नष्ट करने की बजाय एकत्रित कर कंपोस्ट खाद बनाया जाना था. इसके लिए विद्यालय परिसर में दो बड़े गड्ढे तैयार कराने थे, जिसमें प्रतिदिन का कचरा डाला जायेगा. प्रतिदिन सुबह चेतना सत्र के पहले या बाद में डस्टबीन का कचरा गड्ढे में संग्रहित करने को कहा गया था.
विभाग ने अच्छी योजना तैयार की, लेकिन खुद उसे पूरा करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई. स्कूलों को आर्थिक सहयोग देने का प्रस्ताव था. किसी स्कूल को पैसा नहीं मिला, तो शुरुआत भी नहीं हो सकी. योजना के तहत एक स्कूल को एक हजार रुपये वार्षिक मिलना था. कचरा प्रबंधन के तहत कंपोस्ट बनाने के लिए स्कूल परिसर में दो गड्ढों के निर्माण व अन्य खर्च के लिए यह राशि थी. वहीं, दो बड़े व आठ छोटे डस्टबीन के लिए 520 रुपये अलग से मिलने थे.
योजना बनाकर भूल गया विभाग
जून 2016 में बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने स्कूलों में विशेष सफाई अभियान के लिये दिशा-निर्देश जारी करते हुए वहां से निकलने वाले कचरे का सही ढंग से निस्तारण करने को कहा था. सभी प्रधानाध्यापकों को जिम्मेदारी दी गयी थी कि पंचायत में नियुक्त कृषि सलाहकार की मदद से कचरे का उपयोग कंपोस्ट खाद बनाने के लिए करें. हालांकि, योजना बनाने के बाद विभाग के अधिकारी खुद भी भूल गये. दुबारा किसी ने सुधि नहीं ली.

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