मुजफ्फरपुर: रितिक अपहरण कांड में फैसला आ गया है. इसमें दोषी ठहराये गये सभी 11 को उम्र कैद की सजा सुनायी गयी है. दोषियों में छह को मुख्य रूप से मामले में संलिप्त करार दिया गया है और इन्हें मौत तक जेल में रहने की सजा सुनायी गयी है, जबकि पांच अन्य को आजीवन कारावास के रूप में बीस साल की सजा काटनी होगी. दोषियों पर 10 से लेकर पचास हजार तक का जुर्माना लगाया गया है.
जुर्माना नहीं देने की सूरत में एक से तीन साल तक अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. रितिक का 26 मई 2009 को उसके घर से ही अपहरण कर लिया गया था. इसमें रितिक के डॉक्टर पिता सुधीर की क्लीनिक में काम करनेवाले कंपाउंडर चंद्र शेखर सहनी उर्फ चंदन को मुख्य आरोपी बनाया गया था. अपहर्ताओं ने पहले रितिक के माता-पिता से पचास लाख की फिरौती मांगी थी. पैसा नहीं मिलने पर दूसरे गिरोह को बेच दिया गया. इस तरह से रितिक का अपहर्ताओं ने कई बार सौदा किया था. उसे हरियाणा के यमुना नगर में रखा गया था, जहां से पुलिस ने उसे बरामद किया था.
मोतीपुर थाने में रितिक राज के पिता डॉ सुधीर कुमार की ओर से प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. इसमें कहा गया था, चंदन ने ही रितिक को अगवा किया है. पूछताछ के दौरान इसकी जानकारी डॉ सुधीर के यहां काम करनेवाली नर्स व अन्य कर्मचारियों ने की थी. उन्होंने कहा था, 26 मई को डॉ सुधीर व उनकी पत्नी डॉ किरण ऑपरेशन कर रहे थे. इसी दौरान चंदन डॉक्टर के घर में आया था. वो रितिक को मोबाइल में गेम डाउनलोड कराने के बहाने अपने साथ ले गया था. इसके बारे में उनसे कर्मचारियों ने कहा था, वह शहर के गांधी चौक जा रहा है, लेकिन इसके बाद न रितिक वापस आया था और न ही चंदन का पता था.
डॉ सुधीर की क्लीनिक में चंदन दो साल से काम कर रहा था. वह कंपाउंडर का काम करने के साथ डॉक्टर के घरेलू काम भी करता था. इसमें रितिक को स्कूल बस से लाना ले जाना भी शामिल था. वह रितिक के साथ खेलता भी था. इस वजह से डॉक्टर दंपती उस पर विश्वास करने लगे थे. जांच के दौरान पुलिस ने चंदन के मोबाइल लोकेशन के आधार पर रितिक को हरियाणा के यमुना नगर से बरामद किया था. अगवा होने के 17वें दिन पुलिस ने रितिक को हरियाणा के यमुना नगर से बरामद किया था.
पुलिस को दिये बयान में रितिक ने उन जगहों व लोगों को नाम बताया था, जहां उसे रखा गया था, जो लोग उसे इधर से उधर ले जा रहे थे. रितिक का कहना था, उसे एंबुलेंस के जरिये मोतीपुर से एक गांव ले जाया गया था. वहां से बस से मोतिहारी ले जाया गया था. इसके बाद अपहर्ता उसे ट्रेन से बेतिया लेकर गये थे. बेतिया के बाद उसे अंबाला जानेवाली गाड़ी से ले जाया गया था. इस दौरान ये नहीं लग रहा था कि उसका अपहरण किया गया है. क्योंकि अपहर्ता उससे अच्छा व्यवहार कर रहे थे. वह जो खाने के लिए मांगता था, उसे देते थे. सिनेमा आदि दिखाते थे. इस वजह से रितिक ने इस बात का एहसास नहीं था कि उसे अगवा किया गया है, बल्कि वह यात्र के दौरान हंसता-खेलता था. उसने बताया था, उसे हरियाणा से मुंबई ले जाने की तैयारी थी. इसी बीच पुलिस ने उसको बरामद कर किया था.
पुलिस की ओर से कोर्ट में इसको लेकर 30 लोगों के खिलाफ चाजर्शीट दाखिल की गयी थी, जिसमें 19 लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया, जबकि 11 आरोपितों को दोषी माना गया था. इन सभी को गत नौ मई को दोषी करार दिया गया था. इसी दौरान कोर्ट से पांच आरोपित फरार हो गये थे. इनमें मनीष कुमार, मोहन सहनी, जवाहर शर्मा, अमरजीत सहनी व धर्मेद्र सहनी शामिल थे. मनीष ने उसी दिन नगर थाने में समर्पण कर दिया था, जबकि अन्य आरोपितों ने 14 मई को कोर्ट में समर्पण किया था. सजा सुनाये जाने के बाद गुरुवार को सभी को जेल भेज दिया गया.
सजा पर अभियोजन पक्ष की ओर से एपीपी प्रमोद कुमार शाही व बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता सीबी झा व ललित कुमार वर्मा की ओर से बहस की गयी. एपीपी ने जहां दोषियों को आजीवन कारावास देने की मांग कोर्ट से की. वहीं, बचाव पक्ष के वकीलों का कहना था, यह उनकी पहली गलती है, इस वजह से माफी दी जानी चाहिए. दोषियों के पास से रितिक की बरामद नहीं की गयी. पुलिस ने इन लोगों को फंसा दिया है. लेकिन न्यायाधीश ने सभी को आजीवन कारावास की सजा सुना दी. जिस समय सजा सुनायी जा रही थी, आरोपित कोर्ट रूम में थे. उनके चेहरे लटके हुए थे.