मुंगेर. मुंगेर में भले ही गंगा का जलस्तर कम होने लगा है, लेकिन बाढ़ आपदा का असर कम नहीं हो रहा है. हर तरफ पानी ही पानी दिखाई दे रहा है. गंगा अब भी यहां खतरे के निशान से 27 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. जिससे शहर से लेकर गांव तक जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है. लगभग दो लाख की बादी बाढ़ से परेशान है.
खतरे के निशान से 27 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है गंगा
गंगा का जलस्तर धीरे-धीरे कम हो रहा है. लेकिन गंगा अब भी खतरे के निशान से 27 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. आपदा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, गंगा के जलस्तर में लगातार कमी दर्ज की जा रही है. पिछले 24 घंटों में जलस्तर में 20 सेंटीमीटर की गिरावट के साथ जलस्तर 39.60 मीटर पर पहुंच गया है.बाढ़ ने छीन ली छत, तिरपाल बना सहारा
बाढ़ आपदा के कारण मुंगेर में जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है. एक ओर बाढ़ ने लोगों की छत छीन ली, जिसके लिए तिरपाल ही सहारा है. दूसरी ओर, बाढ़ प्रभावित लोगों से भोजन और पानी भी छीन लिया है. बाढ़ के कारण मुंगेर जिले के पांच प्रखंडों की 30 पंचायतें और नगर निगम मुंगेर के 15 वार्ड बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं. लोगों ने राहत शिविरों और ऊंचे स्थानों पर शरण ली है. ज़िला प्रशासन ने गांव छोड़कर राहत शिविरों में पहुंचे लोगों के लिए सामुदायिक रसोई के माध्यम से चावल, दाल और सब्ज़ियों के दो वक्त के भोजन की व्यवस्था की है. शिविर लगाकर छोटे बच्चों, महिलाओं, पुरुषों, बुज़ुर्गों और मवेशियों को दवाइयाँ वितरित की जा रही हैं. जबकि गांव में बाढ़ में फंसे लोगों को दो वक़्त का भोजन भी नसीब नहीं हो पा रहा है. क्योंकि उनका राशन खत्म हो गया है और बाढ़ के पानी के कारण वे राशन भी नहीं खरीद पा रहे हैं.पशुओं का बुरा हाल, दूध उत्पादन हुआ प्रभावित
बाढ़ के कारण पशुपालकों और पशुओं का बुरा हाल है. जिसका दुधारू पशुओं पर बुरा असर पड़ रहा है. यह सही है कि पशुपालन विभाग पशुओं के लिए चारा उपलब्ध करा रहा है, लेकिन उसकी मात्रा इतनी कम है कि वह पशुओं का पेट नहीं भर पा रहा है. पशुचारे की कमी के कारण दुधारू पशुओं ने दूध उत्पादन कम कर दिया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

