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बिचौलियों और दलालों पर रोक लगाने में पूरी तरह विफल हो रहा सदर अस्पताल

बिचौलिये मरीजों को बहलाने के दौरान वार्ड में पर्ची तक कटाने नहीं देते हैं.

– कार्रवाई के नाम पर अपने ही अधिकारियों पर केवल खानापूर्ति बढ़ा रहे सदर अस्पताल में दलाली के मामले

– 13 अक्तूबर को सड़क दुर्घटना में मृतक युवक के परिजनों द्वारा भी लगाया गया था निजी एंबुलेंस चालक द्वारा निजी नर्सिंग होम ले जाने का आरोप

– निजी क्लीनिक ले जाने के चक्कर में वार्ड में पर्ची तक नहीं कटाने देते बिचौलिये

मुंगेर

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सदर अस्पताल में बिचौलियों और दलालों पर रोक लगाने में जिला स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह विफल हो रहा है. जबकि कार्रवाई के नाम पर केवल अपने ही अधिकारियों से स्पष्टीकरण की खानापूर्ति के कारण सदर अस्पताल में बिचौलियों और दलालों की सक्रियता बढ़ती जा रहा है. पिछले माह हेमजापुर थाना क्षेत्र के सुंदरपुर में सड़क दुर्घटना में घायल युवक की शहर के निजी नर्सिंग होम में मौत के बाद भी परिजनों द्वारा निजी एंबुलेंस चालक पर ही अस्पताल से रेफर किये जाने पर निजी नर्सिंग होम ले जाने का आरोप लगाया गया था. वहीं अब तक बिचौलिये मरीजों को बहलाने के दौरान वार्ड में पर्ची तक कटाने नहीं देते हैं. अब ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की खानापूर्ति ने मरीजों की जान को भी खतरे में डालना शुरू कर दिया है.

निजी एंबुलेंस चालकों और दलालों के हाथों फंसकर निजी नर्सिंग होम पहुंच रहे मरीज

बता दें कि 13 अक्तूबर को हेमजापुर थाना क्षेत्र के सुंदरपुर में सड़क दुर्घटना के दौरान दो युवक घायल हो गये थे. जिसे सदर अस्पताल लाया गया. इसमें से लखीसराय के एक युवक को रेफर किया गया. जिसे अस्पताल के बाहर खड़े निजी एंबुलेंस चालकों द्वारा ही बहला कर शहर के ही एक निजी नर्सिंग होम पहुंचा दिया गया था. जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी थी. वहीं इस दौरान मृतक युवक के परिजनों द्वारा निजी एंबुलेंस चालकों पर ही निजी नर्सिंग होम ले जाने का आरोप लगाया गया था. हलांकि इसे लेकर कोई शिकायत दर्ज नहीं करायी गयी थी, लेकिन परिजनों के आरोप ने ही सदर अस्पताल में बिचौलियों और दलालों के कब्जे की पोल खोल दी. जबकि 1 नवंबर को हवेली खड़गपुर के सोनडा से 24 वर्षीय सन्नी कुमार को सड़क दुर्घटना के बाद घायल हालत में सदर अस्पताल लाया गया था. जिसे इमरजेंसी वार्ड से मात्र 15 मिनट में ही प्राइवेट एंबुलेंस से नीजी अस्पताल पहुंचा दिया गया. जहां कुछ ही घंटे के बाद सन्नी की मौत भी हो गयी.

अस्पताल के अंदर और बाहर दोनों जगहों पर होता है बिचौलियों की नजर

सदर अस्पताल भले ही पूरी तरह सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में हो और इसकी मॉनिटरिंग भी स्वास्थ्य मंत्री के आवास पर और अपर मुख्य सचिव द्वारा अपने स्तर से की जा रही हो, लेकिन इसके बावजूद सदर अस्पताल के अंदर और बाहर बिचौलियों और दलालों की सक्रियता सुबह से रात तक रहती है. जो इस फिराक में रहते हैं कि गंभीर मरीज को फुसलाकर निजी नर्सिंग होम पहुंचाया जाये, जहां उन्हें कमीशन के रूप में निजी नर्सिंग होम से 5 हजार रूपये तक मिल जाता है. हद तो यह है कि इमरजेंसी, आईसीयू, पुरूष वार्ड और महिला वार्ड में भर्ती मरीजों के बीच ही बिचौलिये अधिक सक्रिय रहते हैं.

कहते हैं सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार सिन्हा ने बताया कि लोगों को इसके लिये जागरूक होना होगा कि बिचौलियों के झांसे में न आयें. अस्पताल से मरीजों को निजी नर्सिंग होम नहीं रेफर किया जाता है. हलांकि अस्पताल के बाहर निजी एंबुलेंस नहीं लगाया जाना है, हलांकि सार्वजनिक स्थान होने के कारण लोगों के प्रवेश को रोक पाना मुश्किल है. पुलिस अधीक्षक से बाहर निजी एंबुलेंस खड़े करने वालों पर कार्रवाई करने को अनुरोध किया जायेगा. साथ ही यदि वार्डों में बाहरी व्यक्ति रहते हैं तो इसके लिये सीसीटीवी से पहचान कर चिन्हित किया जायेगा. साथ ही ऐसे लोगों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी जायेगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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