संग्रामपुर
मैं डाक्टर की पढ़ाई करना चाहती हूं. घर की माली हालत ठीक नहीं होने की वजह से आगे की पढ़ाई नहीं कर पायी. इस वजह से एएनएम की परीक्षा की तैयारी की और वर्ष 2020 में भागलपुर से एएनएम की डिग्री प्राप्त की. परंतु अब बहाली का इंतजार है. पिताजी संग्रामपुर बाजार में दैनिक मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते हैं. ये बातें एक पैर से दिव्यांग काजल कुमारी बुलंद हौसले के साथ कहती है.संग्रामपुर निवासी सुशील रजक की पुत्री दिव्यांग काजल कुमारी बचपन में ही पोलियोग्रस्त हो गई थी. बावजूद वह एक पैर से उछल-उछल कर विद्यालय जाती थी. उसकी प्राथमिक शिक्षा संग्रामपुर के प्राथमिक विद्यालय से हुई और मध्य विद्यालय संग्रामपुर (बालक) से आठवीं पास की. इसके बाद एसबीआरटी परियोजना कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय संग्रामपुर से मैट्रिक व इन्टर की पढ़ाई पूरी की. काजल का कहना है कि मैं डाॅक्टर बनकर गरीबों एवं निसहायों की सेवा करना चाहती हूं. लेकिन पिता दैनिक मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते हैं.
दिव्यांग काजल को अबतक नहीं मिली सरकारी सहायता
काजल का कहना है कि जब मैं छ: महीने की थी, तभी पोलियो मार दिया. मेरे पिता इलाज कराया. फिर भी मैं एक पैर से दिव्यांग रह गई. उसकी मां माला देवी ने बताया कि काजल सुबह में घरेलू कार्य में हाथ बंटाने के बाद समय पर विद्यालय जाने लगी और उसकी मेहनत व लगन से शिक्षक-शिक्षिका भी प्रभावित थे. घर से विद्यालय उछल-उछल कर जाया करती थी और आज भी अगर किसी निजी क्लिनिक में कुछ काम के लिए बुलावा आता है तो काजल एक पांव पर उछल-उछल कर जाती है. एक पैर से दिव्यांग होने के बाद भी किसी भी तरह की सरकारी सुविधा नहीं मिल पायी. ट्राई साईकिल के लिए आवेदन किया था. 80 प्रतिशत दिव्यांगपन नहीं होने की वजह से ट्राई साईकिल नहीं मिला. मुझे डाॅक्टर बनने की अभिलाषा थी. लेकिन आर्थिक तंगी के कारण पूरी नहीं हो सकी.
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