मुंगेर. गंगा का जलस्तर गुरुवार को खतरे के निशान से पहुंच गया, लेकिन बाढ़ की स्थिति अब भी बरकरार है. लोगों की परेशानी जस की तस बनी हुई है. न तो गांव व घर से पानी निकला और न ही सड़कों को पानी ने मुक्त किया. इसके कारण आज भी 2.25 लाख की जनसंख्या बाढ़ के कारण बुरी तरह से प्रभावित है. सैकड़ों परिवार गांव-घर छोड़ कर खानाबदोश की जिंदगी जी रहे हैं. किसी को सामुदायिक किचन का पका हुआ भोजन मिल रहा है, तो किसी को भूखे गुजारनी पड़ रही रात.
जलस्तर में आ रही है कमी
10 दिनों से गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही थी. इसके कारण मुंगेर भीषण बाढ़ की चपेट में आ गया और जनजीवन अस्त-व्यस्त है. वहीं तीन दिनों से गंगा के जलस्तर में लगातार गिरावट दर्ज हो रही थी और गुरुवार को गंगा खतरे के निशान से नीचे हो गयी. अपराह्न 3 बजे गंगा खतरे के निशान से 2 सेंटी मीटर कम यानी 39.31 मीटर पर पहुंच गयी. शाम छह बजे गंगा का जलस्तर 39.25 मीटर पर पहुंच गया था. आपदा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार गंगा के जलस्तर में लगातार गिरावट जारी रहेगी.
बाढ़ की स्थिति बरकरार, कम नहीं हुई है परेशानी
यह बात सही है कि मुंगेर में गंगा खतरे के निशान से नीचे बहने लगी है, लेकिन बाढ़ की स्थिति जिले में अब भी बरकरार है. शहर से लेकर गांव-घर में फैला बाढ़ का पानी अब तक नहीं निकल पाया है. पानी अब भी सड़कों को अपनी गिरफ्त में लिये है. इसके कारण बाढ़ पीड़ितों की समस्या जस की तस बनी हुई. हजारों बाढ़ से विस्थापित परिवार राहत शिविर, सड़क पर पार्क में आज भी बने हुए हैं, क्योंकि गांव व घर में पानी रहने के कारण लोग अपने गांव-घर नहीं लौट पा रहे हैं. पशुपालक व किसान भी अपने मवेशियों के साथ सड़क किनारे शरण लिये हुए है. प्रशासनिक स्तर पर पशुओं के लिए उनको चारा जहां उपलब्ध कराया जा रहा है, वहीं सामुदायिक किचन के सहारे उनको पका हुआ भोजन दिया जा रहा है.
बाढ़ पीड़ितों को बांटी राहत सामग्री
मुंगेर. ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस के चित्रांश परिषद की ओर से गुरुवार को बबुआ घाट में शरण लेने वाले बाढ़ पीड़ितों के बीच राहत सामग्री का वितरण किया गया, जहां बाढ़ पीड़ितों के बीच बिस्किट, फल, शुद्ध पेयजल आदि का वितरण किया गया. संस्था के अरविंद सिन्हा ने कहा कि बाढ़ के समय हमारे अपने ही लोग विस्थापित हो गये हैं. ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि इस विषम परिस्थिति में हम उनकी मदद करें. मौके पर उमाशंकर, डॉ सरोज कुमार, मनोज सिन्हा, संजीव सिन्हा, राजा बाबू, मुन्ना आदि मौजूद थे.
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