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करोड़ों खर्च, नतीजा सिफर- नहीं बुझ रही लोगों की प्यास

पानी इंसान की जिंदगी और मौत से जुड़ा हुआ है. सरकार भी पानी की जरूरत पूरा करने के लिए पानी की तरह रुपये बहा रही है. लेकिन गलत व्यवस्था के कारण लोग आज भी पानी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. ऐसी हालात मुंगेर शहर का है.

मुंगेर : पानी इंसान की जिंदगी और मौत से जुड़ा हुआ है. सरकार भी पानी की जरूरत पूरा करने के लिए पानी की तरह रुपये बहा रही है. लेकिन गलत व्यवस्था के कारण लोग आज भी पानी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. ऐसी हालात मुंगेर शहर का है. जहां शहरी जलापूर्ति योजना के तहत पानी पर लगभग 74 करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च किये गये. पीएचइडी विभाग ने चापानल लगाने में करोड़ों रुपये खर्च कर दिये. जबकि प्याऊ के नाम पर विभिन्न मदों से अरबों रुपये खर्च किये गये. फिर भी गंगा तट पर बसे मुंगेर शहरी क्षेत्र के लोगों को पानी के लिए जद्दोजहद कम नहीं हो रहा है.

सुबह होते ही पानी के लिए जद्दोजहद : उत्तरवाहिनी गंगा तट पर बसे मुंगेर शहर के लोग पानी के लिए काफी परेशान है. नगर परिषद से मुंगेर नगर निगम हो गया. लेकिन जलसंकट दूर नहीं हो पाया. शहरी जलापूर्ति योजना, विभिन्न मदों से बनाये गये प्याऊ, चापानल भी लोगों की प्यास नहीं बुझा पा रही है. कोरोना कहर के कारण लॉकडाउन अवधि में पानी के लिए किस तरह से मारामारी होती है. इसका जायजा लेने प्रभात खबर की टीम मुंगेर शहर के विभिन्न हिस्सों का जायजा लिया.

जहां सुबह होते ही लोग पानी के लिए डब्बा लेकर दौड़ लगाते हैं. बुधवार को शहर के तीन नंबर गुमटी के समीप लोगों की भीड़ देखी गयी. सोशल डिस्टेसिंग में रखने की सख्ती, मास्क लगाना अनिवार्य और लॉकडाउन के बीच भीड़ के बीच लोग साइकिल, ठेला और रिक्शा पर डब्बा रख कर पानी के लिए वहां पहुंचतेहै. यही हाल मकससपुर, मोगलबाजार क्षेत्र में भी देखने को मिला. जहां सुबह होते ही पानी के लिए जद्दोजहद होने लगती है. अमूमन हर वार्ड के एक-दो मुहल्लों में इसी तरह की मारा-मारी पानी के लिए होती है. लोगों को समझ में ही नहीं आ रहा है कि पानी पर इतनी बड़ी राशि खर्च होने के बाद भी क्यों पानी की इतनी परेशानी मुंगेर के लोगों को हो रही थी.

74 करोड़ से अधिक खर्च, पानी के लिए मारामारी : पूर्व में मुंगेर शहरवासियों को कस्तूरबा वाटर व‌र्क्स के द्वारा गंगा नदी के जल को शुद्ध कर शहरवासियों को पाइप द्वारा जल उपलब्ध कराया जा रहा था. उस समय शहर में जलापूर्ति को लेकर छह टावर कार्यरत थे. वर्तमान समय में उस छह टावर में से मात्र दो टावर कार्यरत हैं. काफी समय तक मुंगेर शहरी क्षेत्र में पानी आपूर्ति ठप रही. जिसके बाद शहरी जलापूर्ति को सुदृढ करने की योजना बनी और नगर विकास विभाग ने सुदृढ़ जलापूर्ति व्यवस्था के लिए वर्ष 2007 शहरी जलापूर्ति योजना शुरू किया गया.

पीएचइडी की देखरेख में जिंदल ने अक्टूबर 2018 में कार्य पूर्ण भी कर लिया. लेकिन नगर विकास विभाग द्वारा मात्र 20 वार्ड में ही काम कराया गया. 300 से अधिक है प्याऊ, पर नहीं बुझा पा रही प्यास मुंगेर नगर निगम में कुल 45 वार्ड है. जिसमें विभिन्न सांसद, विधायक, एमएलसी, नगर एवं विकास विभाग से 300 से अधिक प्याऊ लगाये गये हैं. जिसपर अरबों रूपया खर्च हो गया. 80 से 90 प्याऊ ठेकेदारी प्रथा के कारण दम तोड़ चुका है. तो 30 से 40 प्याऊ किसी न किसी कारण हमेशा किसी न किसी क्षेत्र में खराब ही रहता है. इतना ही नहीं कई प्याऊ पर तो दंबंगों का कब्जा भी है.

इतना ही नहीं वर्ष 2018 एवं 2019 में शहरी क्षेत्र में सैकड़ों जीपीटी चापाकल गाड़ा गया था. लेकिन उस 90 प्रतिशत चापाकल पर दबंगों का कब्जा है. सेटिंग-गेटिंग कर लोगों ने घरों में चापानल लगवा लिया. इधर वर्ष 2019 में नगर निगम ने हर वार्ड में दो-दो समरसेबल व टंकी लगवा कर पानी की व्यवस्था किया. लेकिन वह भी नाकाफी रहा. हर घर जल का नल योजना अधर में लटकामुंगेर में शहरी क्षेत्र में भी मुख्यमंत्री सात निश्चय के तहत हर घर नल का जल योजना को स्वीकृति दिया गया. इसके लिए बिहार राज्य जल पार्षद ने डीपीआर तैयार किया था. जिसके तहत 198 करोड़ रूपया खर्च कर शहर के 32891 घरों में पानी पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया.

जल पार्षद ने काम को छीन कर बिहार शहरी आधारभूत संरचना (बुडको) को दे दिया गया. लेकिन मुंगेर शहर में आज तक हर घर नल का जल योजना का कार्य प्रारंभ तक नहीं हो पाया. कहते हैं पीएचइडी के पदाधिकारी पीएचइडी विभाग के कार्यपालक अभियंता अजीत कुमार ने कहा कि शहरी जलापूर्ति का कार्य अक्टूबर 2018 में ही जिंदल विभाग की देखरेख में पूरा कर लिया. तीन महीने ट्रॉयल और छह महीने का मेंटनेंस कार्य भी पूरा कर लिया. नगर निगम को हैंडओवर करने के लिए पत्राचार भी किया गया. लेकिन आज तक कोई जबाव नहीं मिला है.

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