आनंदमार्ग के धर्म महासम्मेलन में ऑनलाइन भाग ले रहे जमालपुर के आनंदमार्गी
जमालपुर. शिमला के चौराहा मैदान प्रांगण में आनंद मार्ग का विश्वस्तरीय धर्म महासम्मेलन आयोजित किया गया है. जिसमें बाबा नगरी जमालपुर एवं उसके आसपास के क्षेत्र से काफी संख्या में आनंद मार्गी उस महासम्मेलन में शामिल होने गये हैं. जो शारीरिक रूप से उपस्थित नहीं हो पाए हैं, वे ऑनलाइन माध्यम से आध्यात्मिक लाभ उठा रहे हैं.धर्म महासम्मेलन के दूसरे दिन पुरोधा प्रमुख आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने कहा कि प्राचीन काल से मानव आत्म साक्षात्कार के लिए विभिन्न साधनाओं जैसे तप, व्रत, यज्ञ, तीर्थ यात्रा का आश्रय लेते रहे हैं. परंतु शिव और पार्वती के संवाद के माध्यम से यह स्पष्ट किया गया है कि बाह्य तप, यज्ञ या उपवास के माध्यम से मोक्ष की प्राप्ति संभव नहीं है. वास्तविक मुक्ति केवल मैं ब्रह्म हूं इस ज्ञान के माध्यम से ही संभव है. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जब अधिकांश लोग बाहरी आडंबरों में उलझे हैं, शिव ने यह स्पष्ट किया था कि शरीर को कष्ट देने वाली क्रियाएं जैसे कठोर तपस्या, दीर्घकालीन उपवास अथवा तीर्थ केवल शारीरिक परिश्रम है. जो आत्म साक्षात्कार का साधन नहीं बन सकती. यदि ऐसा होता तो श्रमिक, पशु तथा साधनहीन व्यक्ति सहज ही मोक्ष प्राप्त कर लेते. उन्होंने समझाया कि वास्तविक उपवास का अर्थ है ऊपर अर्थात निकट और वास अर्थात स्थित होना अर्थात मन को परमात्मा के निकट स्थिर करना. इस प्रकार उपवास का वास्तविक स्वरूप है मन को सांसारिक मोह से हटाकर ईश्वर चिंतन में स्थिर करना. उन्होंने स्पष्ट किया कि साधकों को आंतरिक साधना पर बोल देना चाहिए. भगवान शिव ने कहा था कि वह मूर्ख हैं जो अपने हाथ में रखे भोजन को फेंक कर दर-दर भटकते हैं. उन्होंने 6 आवश्यक गुणों का भी उल्लेख किया. जिसमें लक्ष्य में सफलता का दृढ़ विश्वास, लक्ष्य के प्रति अटूट श्रद्धा, गुरु के प्रति श्रद्धा और सम्मान, आत्मबोध के पश्चात भी सभी प्राणियों के प्रति क्षमा का भाव रखना, इंद्रियों पर संयम स्थापित करना और संतुलित और पोषक आहार का सेवन करना शामिल है.
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