असरगंज. असरगंज प्रखंड क्षेत्र के चौरगांव और अमैया में बाढ़ का पानी अब धीरे-धीरे घटना शुरू हो गया है. हलांकि बाढ़ का पानी घटने से लोग अपने घरों में वापस आने लगे हैं, लेकिन बाढ़ के बाद स्थानीय लोगों के साथ किसानों के लिये खेतों में बाढ़ के कारण सड़ चुके धान की फसल से उठ रहा दुर्गंध मुसीबत बन गया है. अब बाढ़ और सड़े धान की फसल के कारण क्षेत्र में महामारी फैलने की आशंका बन गयी है. जिससे स्थानीय लोग भयभीत है. स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन अबतक इसे लेकर पूरी तरह उदासीन बना है. मालूम हो कि चौरगांव और अमैया में बड़ी संख्या में किसान रहते हैं. जिनके द्वारा बाढ़ पूर्व ही धान की फसल अपने-अपने खेतों में लगायी गयी थी, लेकिन बाढ़ के कारण किसानों की फसल डूब गयी थी. अब बाढ़ का पानी घटने के कारण खेतों में डूबा धान का फसल पूरी तरह सड़ गया है. दुर्गंध भी अब पूरे क्षेत्र में फैलने लगा है. स्थानीय किसानों ने बताया कि प्रत्येक वर्ष बाढ़ के पहले और बाढ़ के बाद इस प्रकार की स्थिति यहां के स्थानीय लोगों और किसानों को झेलनी पड़ती है. बाढ़ के कारण किसानों के हजारों एकड़ में लगी धान की फसल नष्ट हो चुकी है. मदद के लिये तो कई लोगों ने आश्वासन दिया, लेकिन अब दोबारा पूछने कोई नहीं आता. किसान सरकार से मदद की उम्मीद में बैठे है, लेकिन अबतक सरकार से कोई मदद या आश्वासन तक नहीं मिला है. स्थानीय लोगों ने बताया कि बाढ़ के बाद धान फसल की सड़ांध से महामारी फैलने का आशंका बन गयी है, लेकिन इसे लेकर भी प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह लापरवाह बना है. बाढ़ के दौरान भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिली. जबकि अब तो बाढ़ के बाद महामारी की स्थिति बन गयी है. इसे लेकर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ परवेज अख्तर ने बताया कि बाढ़ प्रभावित गांवों में मेडिकल टीम को भेजा गया है. लोगों को जरूर की दवा दी जा रही है.
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