मुंगेर : रेलवे विभाग ने एक स्लोगन जारी किया है जिसमें लिखा है ‘ सावधानी हटी, दुर्घटना घटी ‘ यह कहावत ग्रामीण क्षेत्र के गंगा घाटों पर छठ पर्व के दौरान सही साबित हो सकती है. क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में गंगा की स्थिति काफी दयनीय है. जो छठ व्रतियों एवं गंगा स्नान करने वालों के लिए काफी कष्टदायक सिद्ध होगा.
उत्तर वाहिनी गंगा फरदा से लेकर बरियारपुर तक बहती है और गंगा किनारे सैकड़ों गांव बसे हुए हैं. शहरी क्षेत्र में तो गंगा घाट बना हुआ है और प्रशासन की भी नजर उस पर हमेशा बनी रहती है. रोशनी, पानी, सफाई एवं सुरक्षा की व्यवस्था रहती है. शहरी क्षेत्र की आबादी से अधिक लोग ग्रामीण क्षेत्रों के गंगा घाट पर छठ पर्व मनाते हैं.
लेकिन वहां प्रशासनिक उपेक्षा हर साल की भांति इस साल भी बनी हुई है. ग्रामीण क्षेत्र के गंगा घाट, मय, दरियारपुर, शिवगंज, शीतलपुर की बात करे तो वह काफी दयनीय स्थिति में है. कटाव के लिए बांधे गये बोल्डर से सटा हुआ घाट है. बोल्डर को तारों से बांधा गया है जो पानी के नीचे है. इतना ही नहीं घाट काफी खतरनाक है.
क्योंकि मात्र दो फीट घाट ठीक है और उसके बाद सीधे गंगा में खाई है. ग्रामीण बहुत हद तक अपने स्तर से बांस-बल्ला देकर घाट को सुरक्षित किया है. लेकिन जैसे ही चूक होगी आदमी उसमें डूब जायेगा. शिवगंज के अमित कुमार, कल्लू कुमार, सोनू सिंह, आनंद कुमार, निखिल कुमार ने बताया कि घाट काफी खतरनाक है. ग्रामीण के बस की बात नहीं है कि उसे सुरक्षित कर सके. प्रशासन को ग्रामीण क्षेत्रों के हर घाट पर मोटर वोट व गोताखोर की व्यवस्था करनी चाहिए.