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आखिरकार जिंदगी की जंग हार गयी ज्योति

मुंगेर : प्रशासनिक उदासीनता और इलाज के लिए पैसों के अभाव में एक साल से मौत से लड़ रही ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित धरहरा निवासी ज्ञानी पासवान की 18 वर्षीय पुत्री ज्योति आखिरकार मौत से जंग हार गयी. एक माह से मुंगेर सदर अस्पताल में इलाजरत ज्योति की मौत सोमवार को हो गयी. उसकी मौत […]

मुंगेर : प्रशासनिक उदासीनता और इलाज के लिए पैसों के अभाव में एक साल से मौत से लड़ रही ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित धरहरा निवासी ज्ञानी पासवान की 18 वर्षीय पुत्री ज्योति आखिरकार मौत से जंग हार गयी. एक माह से मुंगेर सदर अस्पताल में इलाजरत ज्योति की मौत सोमवार को हो गयी. उसकी मौत ने सरकार के आयुष्मान भारत योजना पर भी सवाल खड़े कर दिये हैं. ज्योति की मौत से परिजनों का रो-रो बुरा हाल था.

ज्योति के पिता अपने आंसूओं को छिपाते हुए बताया कि सरकार और प्रशासन द्वारा उसकी बेटी को थोड़ी सी मदद देकर मरने के लिए वैसे ही छोड़ दिया गया.
उसने बताया कि तत्कालीन जिला पदाधिकारी आनंद शर्मा द्वारा एक दिन में सरकार द्वारा गरीबों के लिये चलाये जा रहे आयुष्मान योजना के तहत गोल्डन कार्ड तो बनवा दिया गया. लेकिन उस कार्ड को निमहंस हॉस्पिटल बेंगलुरु में मान्यता नहीं मिलने के कारण ज्योति का उचित इलाज नहीं हो पाया. पैसे के अभाव के कारण बेंगलुरु से वापस अपने घर धरहरा पहुंचने के बाद कुछ जनप्रतिनिधियों से मिले आश्वासन से ज्योति के जान बचाने की उम्मीद जगी थी. लेकिन मदद नहीं मिलने के कारण उम्मीदें टूट गयी.
आखिरकार उसे अपनी बेटी को लेकर इलाज के लिए सदर अस्पताल आना पड़ा. लेकिन वहां की बदहाल व्यवस्था के कारण उसकी बेटी बच नहीं पायी. उसने बताया कि बेटी को इलाज के लिये अस्पताल में तो भर्ती कर लिया गया. लेकिन उसे देखने कोई डॉक्टर नहीं आते थे. वहीं सरकार द्वारा बनाये गये आयुष्मान कार्ड का भी सदर अस्पताल में कोई फायदा ज्योति को नहीं मिल पाया.

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