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अस्पताल में एक महीने से नहीं हो रही सीबीसी जांच, मरीज परेशान

मुंगेर : यूं तो सदर अस्पताल में अब नियंत्री पदाधिकारियों की संख्या तीन से बढ़ा कर चार कर दी गयी है. किंतु अब यहां समस्याएं पूर्व से भी अधिक बढ़ गयी है. जिसके कारण यहां इलाज को पहुंचने वाले मरीजों को खासे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मालूम हो कि अधिकांश रोगियों को […]

मुंगेर : यूं तो सदर अस्पताल में अब नियंत्री पदाधिकारियों की संख्या तीन से बढ़ा कर चार कर दी गयी है. किंतु अब यहां समस्याएं पूर्व से भी अधिक बढ़ गयी है. जिसके कारण यहां इलाज को पहुंचने वाले मरीजों को खासे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

मालूम हो कि अधिकांश रोगियों को इलाज के दौरान ब्लड टेस्ट की जरूरत होती है तथा जांच रिपोर्ट के आधार पर ही चिकित्सक मरीज के इलाज को आगे बढ़ाते हैं. किंतु पिछले एक महीने से यहां विभिन्न प्रकार के जांच की स्थिति काफी बदहाल है. जिसके कारण मरीजों को निजी क्लिनिक व जांच घरों का सहारा लेना पड़ रहा है. हाल यह है कि यहां इन दिनों सीबीसी व हेपेटाईटिश बी जैसे जांच की भी सुविधा उपलब्ध नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि सदर अस्पताल में चार-चार नियंत्री पदाधिकारी रहते हुए भी ऐसी स्थिति कैसे उत्पन्न हो सकती है.
नहीं हो रही सीबीसी जांच, हेपेटाइटिस-बी का किट उपलब्ध नहीं : सदर अस्पताल में व्यवस्थाओं को लेकर यहां के वरीय अधिकारी दावे तो बड़े-बड़े करते हैं. किंतु यहां की व्यवस्थाएं काफी बदहाल है. पिछले एक महीने से सदर अस्पताल के जांच घर में मरीजों का सीबीसी जांच नहीं हो पा रहा है. जबकि चिकित्सक द्वारा अधिकांश मरीजों को सीबीसी जांच कराने को कहा जाता है.
इतना ही नहीं यहां न तो हेपेटाईटिस-बी का जांच किट उपलब्ध है और न ही आईजीई व ब्लड ग्रुपिंग की जांच हो पा रही है. जिसके कारण खासकर गर्भवती महिलाओं तथा नवजात शिशुओं को ब्लड टेस्ट के लिए निजी क्लिनिक व पैथोलॉजी का चक्कर लगाना पड़ रहा है. वर्तमान स्थिति के कारण यहां इलाज को पहुंचने वाले मरीजों की परेशानी काफी बढ़ गयी है.
अधिक राशि खर्च कर निजी पैथोलॉजी में करानी पड़ रही जांच
प्रसव के लिए आयी कोई गर्भवती महिला हो, इलाज के लिए पहुंचा कोई नवजात हो या फिर कोई सामान्य मरीज. ऐसे मरीजों को जब चिकित्सक विभिन्न प्रकार के जांच कराने को कहते हैं तो उन्हें अधिकांश जांच बाहर से ही करवा कर आना पड़ता है. जांच के नाम पर मरीजों के परिजनों के जेब पर डाका पड़ रहा है.
एक-एक जांच के नाम पर निजी पैथोलॉजी में 400-1000 रुपये तक वसूला जा रहा है, जिसमें दलालों का कमीशन भी जुड़ा रहता है. जिसके कारण मरीज के परिजनों की परेशानी भले ही काफी बढ़ गयी हो, किंतु यहां दलालों की चांदी कट रही है. जिस पर शायद सदर अस्पताल के वरीय पदाधिकारियों की नजर नहीं है. मरीजों का कहना है कि अस्पताल में सिर्फ सीसीटीवी कैमरे मात्र लगा देने से व्यवस्था में सुधार नहीं हो सकती है, इसके लिए अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियों पर खड़ा उतरना होगा.
कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ पुरुषोत्तम कुमार ने बताया कि सीबीसी जांच करने वाला मशीन खराब हो गया था, जिसे ठीक करवा कर मंगवा लिया गया है. हेपेटाइटिस-बी का किट तथा ब्लड ग्रुपिंग का केमिकल खत्म हो गया था, उसे भी उपलब्ध करवा दिया गया है.

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