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आवागमन के चक्र से बचने के लिए परमात्मा की भक्ति आवश्यक : नरेंद्र

जमालपुर : इस संसार में जन्म लेना और मरना ही आवागमन का चक्र है, जो सबसे बड़ा दुख है. आवागमन के चक्र से बचने के लिए परमात्मा की भक्ति आवश्यक है और परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग सत्संग बताता है. ये बातें संतमत सत्संग के वरिष्ठ आचार्य स्वामी नरेंद्र बाबा ने अपने उपदेश में कही. […]

जमालपुर : इस संसार में जन्म लेना और मरना ही आवागमन का चक्र है, जो सबसे बड़ा दुख है. आवागमन के चक्र से बचने के लिए परमात्मा की भक्ति आवश्यक है और परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग सत्संग बताता है. ये बातें संतमत सत्संग के वरिष्ठ आचार्य स्वामी नरेंद्र बाबा ने अपने उपदेश में कही. वह संतमत सत्संग आश्रम नयागांव में आयोजित सत्संग में बोल रहे थे.

उन्होंने कहा कि परमात्मा का ज्ञान मनुष्य के 14 इंद्रियों में से किसी से नहीं हो सकता, क्योंकि इंद्रियों से सिर्फ माया का ज्ञान होता है. जबकि परमात्मा मायातीत है. परमात्मा का ज्ञान आत्मा से हो सकता है और परमात्मा का संग करने के लिए सत्संग करना आवश्यक है. समिति के अध्यक्ष वयोवृद्ध अर्जुन तांती ने कहा कि जो सत्संग करते हैं, उन्हें स्वर्ग से भी ज्यादा सुख की प्राप्ति होती है.
गुरु महाराज ने कुप्पाघाट भागलपुर की गुफा में कठोर तपस्या कर यह बता दिया कि सबका ईश्वर एक है और ईश्वर तक जाने का रास्ता भी एक है. प्रचार मंत्री राजन कुमार चौरसिया ने कहा कि संतमत सत्संग में सभी धर्मों एवं संतों का समान आदर है. सद्गुरु महर्षि मेंही ने सभी धर्म, पंथ और संप्रदायों को एक करने का प्रयास किया. जिसे आज हम संतमत सत्संग के रूप में जानते हैं.
भजन के कार्यक्रम में भूदेश्वरी देवी, राजन चौरसिया, अशोक प्रसाद और जगदीश पंडित ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. मौके पर सचिव ओम प्रकाश गुप्ता, कोषाध्यक्ष सीताराम वैद्य, व्यवस्थापक सुभाष चौरसिया, अभिमन्यु साह, नरेंद्र पंडित, रंजन ठाकुर, बबलू यादव, रामदेव तांती, अहिल्या देवी, रेखा देवी, नंदा, सुशीला और निर्मला शर्मा मुख्य रूप से उपस्थित थे.

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