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…और अंतत: गायक मंटू मस्ताना ने कर ली आत्महत्या

मुंगेर : मंटू की मौत न केवल एक स्थानीय कलाकार की मौत है, बल्कि आज के सभ्य समाज, कल्याणकारी राज-व्यवस्था और विकास का दंभ भरने वाली सरकार के कार्यकलापों पर करारा तमाचा है. मंटू के परिवार में अब कोई कमाऊ सदस्य नहीं बचा. परिवार में अब उसकी बूढ़ी मां तारा देवी ही बची हैं. तारा […]

मुंगेर : मंटू की मौत न केवल एक स्थानीय कलाकार की मौत है, बल्कि आज के सभ्य समाज, कल्याणकारी राज-व्यवस्था और विकास का दंभ भरने वाली सरकार के कार्यकलापों पर करारा तमाचा है. मंटू के परिवार में अब कोई कमाऊ सदस्य नहीं बचा. परिवार में अब उसकी बूढ़ी मां तारा देवी ही बची हैं. तारा देवी लगभग 85 वर्षीया वृद्धा है.

उसके पास आमदनी का कोई जरिया नहीं है. मकान है तो, वह भी जर्जर अवस्था में. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत उसे राशन कार्ड भी नहीं है. उसकी मां ने बताया कि उसे एपीएल कार्ड है, जिस पर केवल केरोसिन मिलता है. प्रश्न यह कि आखिर मंटू जैसे लाचार को भी सरकार के विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ क्यों नहीं मिला. साथ ही मंटू के गुजर जाने के बाद अब उनकी बूढ़ी मां का ख्याल कौन रखेगा.

नामचीन गायकों में एक था मंटू मस्ताना
पड़ोसी मन्नू रजक, संजय रजक, ब्रह्मदेव रजक सहित अन्य ने बताया कि मंटू मस्ताना का उसके मां के अलावे इस दुनियां में कोई नहीं था़ मंटू शारीरिक रूप से हमेशा अस्वस्थ्य ही रहता था़ उसके गले में सरस्वती का वास था, वह कई नामचीन गायकों की आवाज में गाना गा लेता था़ स्थानीय स्तर पर किसी छोटे-मोटे कार्यक्रमों में उसे गाने का मौका मिलता था, जिसमें उसे कुछ कमाई हो जाती थी, पर उतनी भी कमाई नहीं हो पाती जिससे वह अपना पेट अच्छी तरह पाल सके़

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