मुंगेर : मंटू की मौत न केवल एक स्थानीय कलाकार की मौत है, बल्कि आज के सभ्य समाज, कल्याणकारी राज-व्यवस्था और विकास का दंभ भरने वाली सरकार के कार्यकलापों पर करारा तमाचा है. मंटू के परिवार में अब कोई कमाऊ सदस्य नहीं बचा. परिवार में अब उसकी बूढ़ी मां तारा देवी ही बची हैं. तारा देवी लगभग 85 वर्षीया वृद्धा है.
उसके पास आमदनी का कोई जरिया नहीं है. मकान है तो, वह भी जर्जर अवस्था में. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत उसे राशन कार्ड भी नहीं है. उसकी मां ने बताया कि उसे एपीएल कार्ड है, जिस पर केवल केरोसिन मिलता है. प्रश्न यह कि आखिर मंटू जैसे लाचार को भी सरकार के विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ क्यों नहीं मिला. साथ ही मंटू के गुजर जाने के बाद अब उनकी बूढ़ी मां का ख्याल कौन रखेगा.