दो दशक से एसटीएफ व बिहार पुलिस को देता रहा चकमा
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मुंगेर पुलिस के लिए चुनौती बना था इनामी कृष्णा यादव
दो दशक से एसटीएफ व बिहार पुलिस को देता रहा चकमा मुंगेर पुलिस के लिए मोस्ट वांटेड व 50 हजार का इनामी अपराधी कृष्णानंद यादव अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर ही था. सोमवार को न्यायालय में उसके सरेंडर के बाद पुलिस ने राहत की सांस ली. मुंगेर : बिहार पुलिस से फरार होकर […]
मुंगेर पुलिस के लिए मोस्ट वांटेड व 50 हजार का इनामी अपराधी कृष्णानंद यादव अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर ही था. सोमवार को न्यायालय में उसके सरेंडर के बाद पुलिस ने राहत की सांस ली.
मुंगेर : बिहार पुलिस से फरार होकर अपराध की दुनिया में एकक्षत्र राज कायम करने वाला इनामी अपराधी कृष्णानंद यादव मुंगेर पुलिस के लिए चुनौती बना था. उसकी गिरफ्तारी के लिए पिछले दो दशक से एसटीएफ से लेकर जिला पुलिस खाक छानती रही. लेकिन उसकी गिरफ्तारी नहीं हो पायी. राजनीतिक पहुंच के कारण कृष्णानंद की पत्नी साधना देवी दो बार जमालपुर विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुकी है. वैसे वह विधायक बनने में कामयाब नहीं हो पायी.
अपराध की दुनिया में कृष्णानंद की रही धमक
कृष्णानंद यादव मुंगेर जिले का एक ऐसा अपराधी रहा, जो पिछले दो दशक से अपराध की दुनिया में अपना सत्ता चलाता रहा. यहां तक कि उसका संबंध इस दौरान माओवादी संगठनों से भी जोड़ा जाता रहा और लाख प्रयास के बावजूद पुलिस उसे अनंत: उसे गिरफ्तार नहीं कर पायी. भले ही इस दौरान उसकी गिरफ्तारी के लिए दर्जनों बार जिला पुलिस द्वारा जहां टास्क फोर्स बनाये गये और एसटीएफ ने भी कार्रवाई की.
पत्नी, भाभी व बेटा जा चुके हैं जेल
कुख्यात कृष्णानंद यादव की लोजपा नेत्री पत्नी साधना देवी व उसकी भाभी को पुलिस एक मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. जो जमानत पर बाहर है. इतना ही नहीं उसके बेटों को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था. जो जमानत पर बाहर हैं.
दो दर्जन से अधिक मामलों में था वांछित
2004 में एसटीएफ ने की कार्रवाई
कृष्णानंद की गिरफ्तारी के लिए वर्ष 2004 में एसटीएफ पटना की टीम ने उसके घर छापेमारी की थी. उस छापेमारी के दौरान जहां महिलाओं ने मिर्ची पाउंडर फेंक कर एसटीएफ के जवानों को पीछे लौटने पर मजबूर कर दिया था. वहीं उस दौरान एसटीएफ व अपराधी के बीच हुई गोलीबारी में एसटीएफ का एक जवान घायल हो गया था. यहां तक कि मुंगेर के तत्कालीन डीआइजी गुप्तेश्वर पांडे जब पाटम जा रहे थे तो रेलवे पुल के समीप उन पर भी गोलीबारी की गयी थी.
कई बार हुई कुर्की की कार्रवाई
कुख्यात कृष्णानंद यादव पर दबाव बनाने के लिए पुलिस ने कई बार उसके घर पर कुर्की की कार्रवाई की. पुलिस ने उसके घर को भी तोड़ डाला था. 9 जून 2012 को भी मोस्टवांटेड कृष्णा यादव के घर कुर्की-जब्ती के दौरान पुलिस को मास्केट सहित कई आपत्तिजनक सामान हाथ लगे थे. लेकिन पुलिस को देख कर कृष्णा यादव सहित घर के अन्य लोग फरार हो गये थे. नया रामनगर थाना क्षेत्र के पाटम गांव निवासी मोस्टवांटेड कृष्णा यादव के घर तत्कालीन जमालपुर डीएसपी रंजन कुमार के नेतृत्व में कुर्की-जब्ती करने पुलिस गयी तो मास्केट, एके-47 राईफल का बट, नाल एवं बैरल साफ करने का यंत्र सहित अन्य सामान बरामद हुआ.
50 हजार का इनामी है कृष्णानंद
कृष्णानंद यादव कुख्यात अपराधी की श्रेणी में गिना जाने लगा. मोस्ट वांटेड की संज्ञा देते हए पुलिस ने उस पर 50 हजार रूपया घोषित किया. वर्ष 2015 में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक वरूण कुमार सिन्हा ने मुख्यालय को कृष्णनंद यादव का इनाम राशि 50 हजार से एक लाख रूपया करने का प्रस्ताव भेजा था. उस पर मुंगेर के विभिन्न थानों में दो दर्जन से अधिक हत्या, रंगदारी के मामले दर्ज है.
वर्ष 1994 में कुख्यात अपराधी कृष्णानंद यादव ने अपने ही गांव के जगदीश यादव की गोली मार कर हत्या कर दी थी.
वर्ष 1995 में कृष्णानंद यादव ने मृतक जगदीश यादव के पुत्र भुटो यादव की गोली मार कर हत्या कर दी थी.
वर्ष 2004 के जून-जुलाई माह में कुख्यात अपराधी कृष्णानंद यादव की गिरफ्तारी के लिए पाठम स्थित उसके घर पर एसटीएफ की टीम ने छापेमारी की थी. घर के सदस्यों ने मिरची पाउडर जवानों पर फेंक कर हमला कर दिया. गोलीबारी में कई जवान जख्मी हो गये थे. इस बार भी कृष्णानंद यादव फरार हो गया.
*19 नवंबर 2004 को कृष्णानंद यादव ने पाटम गांव जाने के रास्ते में एक बोलेरो वाहन पर अंधाधुंध फायरिंग कर नरसंहार के घटना को अंजाम दिया था. इस घटना में मुफस्सिल थाना क्षेत्र के बांक निवासी संजय यादव, जीतेंद्र यादव, रविश यादव एवं अनिल साव की घटना स्थल पर ही मौत हो गयी थी.
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