मोतिहारी. तरावीह अरबी भाषा का शब्द है जिसका मतलब है आराम और तेहेरना. रमजान में इस नमाज को पढ़ने का विशेष महत्व माना जाता है. रात में ईशा की नमाज के बाद तरावीह की नमाज पढ़ी जाती है, जिसमें कुल 20 रकात होती हैं और हर दो रकात के बाद सलाम फेरा जाता है.रमजान में पढ़ी जाने वाली इस नमाज की अपनी एक अलग फजीलत है. उक्त बातें प्रसिद्ध उलेमा व बलुआ मस्जिद के पूर्व इमाम मौलाना मो.जैनुद्दीन खान ने जारी एक बयान में कही. कहा कि यह एक ऐसाी नमाज है जिसके पढ़ने से घरों में बरकत ही बरकत आती है. बताया कि हर बार 4 रकात के बाद तरावीह की दुआ पढ़ी जाती है. इस दुआ में सभी नमाज़ी देश व समाज की सलामती की दुआ करते हैंं यह नमाज महिला और पुरुष दोनों के लिए जरूरी है. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार जिस घर में तरावीह की नमाज़ होती है वहां बरकत ही बरकत होती है. इस नमाज में हर सजदे पर 1500 नेकियां लिखी जाती हैं. अल्लाह तआला तरावीह पढ़ने वाले लोगों पर अपनी रहमत बरसाता है. इसलिए रमजान में इस नमाज को पढ़ने का विशेष महत्व माना जाता है. जिलेवासियों से रमाजन की एहतराम करने व इबादत करने की अपील की. साथ ही यह भी कहा कि कोई ऐसा काम न करें,जिससे दूसरे अकीदे वाले लोगों की भावना को ठेस पहंचे. मस्जिदों में नियमित हो रही तरावीह की नमाज रमजान का चांद देखे जाने के साथ मस्जिदों में तरवीह की नामज अदा की जाने लगी. ईशा की नामज के बाद अकीदतमंद नमाज अदा कर रहे हैं. यानी एक सप्ताह से यह नमाज हो रही है. करीब दस बजे रात्रि तक लोग मस्जिदों व इबादतगाहों में नमाज अदा कर रहे हैं.
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