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Bihar news: बिहार में जल्द ही शुरू होगा सोना, पोटाश, निकेल-क्रोमियम का खनन, लगेंगे उद्योग-मिलेगा रोजगार

बिहार मिले पोटाश, निकेल और क्रोमियम को बेहतर गुणवत्ता (Bihar news) का बताया गया है. इससे पहले राज्य में कोयला और सोना मिलने की जानकारी सामने आयी थी. इनके खनन से राज्य सरकार को बड़े पैमाने पर राजस्व मिलेगा. वहीं, बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होगा.

बिहार में इस साल बरसात के बाद सोना, पोटाश, मैग्नेटाइट, निकेल, क्रोमियम और प्लैटिनम ग्रुप ऑफ एलिमेंट का खनन शुरू होगा. (Bihar news) इसके लिए राज्य सरकार के स्तर पर जल्द ही नियमावली बनायी जायेगी. खनन के लिए एजेंसी का चयन टेंडर के माध्यम से अगले दो महीने में होने की संभावना है. इन खनिजों से संबंधित उद्योग रोहतास और औरंगाबाद जिले में लग सकते हैं.

बड़ी संख्या में लोगों को मिलेगा रोजगार

बता दें कि राज्य में मिले पोटाश, निकेल और क्रोमियम को बेहतर गुणवत्ता का बताया गया है. इससे पहले राज्य में कोयला और सोना मिलने की जानकारी सामने आयी थी. इनके खनन से राज्य सरकार को बड़े पैमाने पर राजस्व मिलेगा. वहीं, बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होगा.

बैठक में नीलीमी प्रक्रिया पर हुई चर्चा

बीते दिनों ट्रांजेक्शनल एडवाइजर के चयन के लिए खान एवं भूतत्व विभाग की अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर बम्हरा की अध्यक्षता में बैठक हुई थी. इस बैठक में एसबीआइ कैप, क्रिसिल और जीएसआई सहित विभाग के अधिकारी शामिल थे. बैठक में नौ खनिज ब्लॉक की नीलामी प्रक्रिया पर भी चर्चा हुई. टेंडर के माध्यम से खनन एजेंसी के चयन की प्रक्रिया शुरू करने पर सहमति बनी थी.

इन जिलों में मिला है भंडार

रोहतास जिले में करीब 25 वर्ग किमी इलाके में पोटाश मिला है. जिले के नावाडीह प्रखंड में 10 वर्ग किमी, टीपा में आठ किमी और शाहपुर प्रखंड में सात किमी का इलाका शामिल है. पोटाश का बड़े पैमाने पर औषधि व रासायनिक खाद में इस्तेमाल होता है. जानकारी के अनुसार गया और औरंगाबाद जिले की सीमा पर मदनपुर प्रखंड के डेंजना और आसपास के इलाकों में करीब आठ वर्ग किमी क्षेत्र में निकेल और क्रोमियम पाया गया है.

इन उद्योगों की लगने की संभावना

निकेल का उपयोग लोहे व अन्य धातुओं पर परत चढ़ाकर उन्हें जंग लगने से बचाने के लिए किया जाता है. यह एक लौह चुम्बकत्व रखने वाला तत्व है और इससे बने चुम्बक कई उद्योगों में इस्तेमाल होते हैं. इसके अलावा निकेल को इस्पात में मिलाकर उसे ‘स्टेनलेस’ (जंग-रोधक) बनाया जाता है. जबकि क्रोमियम का उपयोग मिश्रधातु बनाने में किया जाता है. स्‍टील को अधिक कठोर बनाने, चर्मशोधन में यह काम आता है. मानव शरीर में ग्‍लूकोज को नियंत्रित करने में भी यह कारगर है. शीशे को हरा रंग देने, क्रोम प्‍लेटिंग समेत अन्‍य कार्यों में यह प्रभावी है. इसका उपयोग तेल उद्योग में उत्प्रेरक, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और जंग अवरोधक के रूप में किया जाता है.

जमुई में गोल्ड मिलने की संभावना

बतातें चलें कि इससे पहले जीएसआइ ने इस बात की पुष्टि की है कि जमुई के सोना प्रखंड में देश का लगभग 44 प्रतिशत गोल्ड मिल सकता है. यहां करीब 22.28 करोड़ टन सोने के भंडार मौजूद होने की संभावना है. जबकि पीरपैंती और कहलगांव के नजदीक लगभग 850 मिलियन टन कोयले का भंडार है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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