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शिशु स्वास्थ्य संस्थानों में फायर सेफ्टी की हुई जांच

जिले के स्वास्थ्य संस्थानों में नेशनल बिल्डिंग कोड ऑफ इंडिया, "आग और जीवन सुरक्षा " के तहत फायर सेफ्टी की उचित व्यवस्था के लिए एसीएस ने सीएस को जरूरी निर्देश दिया है.

मधुबनी. जिले के स्वास्थ्य संस्थानों में नेशनल बिल्डिंग कोड ऑफ इंडिया, “आग और जीवन सुरक्षा ” के तहत फायर सेफ्टी की उचित व्यवस्था के लिए एसीएस ने सीएस को जरूरी निर्देश दिया है. एसीएस द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि पिछले दिनों दिल्ली के एक शिशु स्वास्थ्य संस्थान में लगी आग में आधा दर्शन शिशुओं की मौत हो गई. इस्को लेकर एसीएस ने सिविल सर्जन को जिले में संचालित शिशु नर्सिंग होम में फायर सेफ्टी की जांच कर प्रतिवेदन देने का निर्देश दिया है. एसीएस के निर्देश के आलोक में एसीएमओ डा.आरके सिंह एवं डीपीएम पंकज कुमार मिश्रा ने गुरुवार को मुख्यालय के छह शिशु अस्पताल का निरीक्षण किया. इस संबंध में सिविल सर्जन डा.नरेश भीमसारिया ने कहा कि तीन शिशु संस्थानों में फायर सेफ्टी पाया गया. इसके अलावे अन्य संस्थानों को फायर सेफ्टी लगाने का निर्देश दिया गया. साथ ही सभी संस्थानों को संबंधित कागजात सीएस कार्यालय को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है. ताकि संबंधित प्रतिवेदन राज्य को समय से उपलब्ध कराया जा सके. गर्मी के महीने में आग लगने की समस्या अधिक होती है. बिजली उपकरणों और कनेक्शन के रखरखाव एवं बढ़े विद्युत भार जोखिम को बढ़ाते हैं. अस्पताल जैसे संस्थान में अति-संवेदनशील मरीजों, लाइफ सपोर्ट वाले रोगियों, विकलांग रोगी, बाल रोगी, बुजुर्ग रोगियों के लिए जोखिम की संभावना को बढ़ाता है. एसीएस के निर्देश के आलोक में सीएस डा. नरेश कुमार भीमसारिया ने अधीक्षक, उपाधीक्षक, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, अस्पताल प्रबंधक एवं प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक को स्वास्थ्य संस्थानों में आग के खतरे की रोकथाम, तैयारी और प्रभावी प्रतिक्रिया की सुविधा के लिए आवश्यक तकनीकी कदम उठाने का निर्देश दिया है. इसके तहत सामान्य प्रावधानों में फंक्शनल फायर डिटेक्शन एंड अलार्म सिस्टम, ऑटोमेटिक स्प्रिंकलर सिस्टम, फायर एक्स्टिंग्युसर, वेट राइजर्स, वाटर स्टोरेज एवं आपूर्ति को शामिल करने का निर्देश दिया है. सीएस ने कहा कि नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी द्वारा भी हॉस्पिटल सेफ्टी का दिशा निर्देश जारी किया गया है. गाइडलाइन के अनुसार आपदा के समय मरीज एवं स्टाफ के निकास के लिए पर्याप्त खुला स्थान अस्पताल प्रबंधन द्वारा उपलब्ध कराना है. इसके साथ ही अस्पताल के विभिन्न ब्लॉक के आसपास आपातकालीन गाड़ियों के आवागमन के लिए पर्याप्त खुली जगह होनी चाहिए. ज्ञात हो कि सदर अस्पताल में 21 फायर एक्स्टिंग्युसर लगाया गया है. इसमें लेबर रूम में 4, ब्लड बैंक में 2, ऑपरेशन थिएटर में 3 ओपीडी में 4, आई वार्ड में 2 एवं एसएनसीयू में 4 फायर एक्स्टिंग्युसर अधिष्ठापित किया गया है.

स्वास्थ्य संस्थानों सहित निजी नर्सिंग होम में भी फायर सेफ्टी आवश्यक

स्वास्थ्य संस्थानों सहित मुख्यालय स्थित संचालित नर्सिंग होम में आग से बचाव के लिए कई तरह के उपाय किए गए हैं. इसके तहत सभी अस्पतालों में अग्निशमन यंत्र के साथ-साथ आग से बचाव के लिए कार्बन डाइऑक्साइड पाइप लाइन स्थापित किया गया है. हालांकि कई निजी नर्सिंग होम मुख्यालय के व्यस्ततम मोहल्लों में स्थापित है. जहां अग्निशमन सेवा आसानी से नहीं पहुंच सकता है. लेकिन आग से निपटने के लिए नर्सिंग होम संचालकों द्वारा पर्याप्त मात्रा में व्यवस्था किया गया है. वहीं सदर अस्पताल में अग्निशमन यंत्र लगाया गया है, इसके साथ ही जारी गाइडलाइन का शत-प्रतिशत अनुपालन किया गया है. सदर अस्पताल के पास फायर एनओसी उपलब्ध है. इसके अलावे जिस निजी नर्सिंग होम के पास एनओसी अपडेट नहीं है, उसके द्वारा एन ओसी अपडेट करने की प्रक्रिया संचालक द्वारा किया गया है. इससे कि आग लगने की स्थिति में तत्काल आग पर काबू पाया जा सके. इसके साथ ही मरीजों को सुरक्षित आग की दुर्घटना से बचाया जा सके.

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