मधुबनी : अब जल्द ही श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में भी मधुबनी पेंटिंग का परचम लहरायेगा. भारत सरकार के शिल्प कला संस्थान द्वारा पूरे देश से विभिन्न विद्या के कलाकारों को कोलंबो भेजा जा रहा है. जिसमें बिहार से मिथिला पेंटिंग के क्षेत्र में प्रतिनिधित्व भी किया जायेगा. यह प्रतिनिधित्व जितवारपुर के युवा कलाकार रेमंत कुमार मिश्रा करेंगे. उन्हें बेहतर मिथिला पेंटिंग के लिये केंद्र सरकार द्वारा चयन किया गया है. .
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कोलंबो में रेमंत करेंगे मिथिला पेंटिंग
मधुबनी : अब जल्द ही श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में भी मधुबनी पेंटिंग का परचम लहरायेगा. भारत सरकार के शिल्प कला संस्थान द्वारा पूरे देश से विभिन्न विद्या के कलाकारों को कोलंबो भेजा जा रहा है. जिसमें बिहार से मिथिला पेंटिंग के क्षेत्र में प्रतिनिधित्व भी किया जायेगा. यह प्रतिनिधित्व जितवारपुर के युवा कलाकार रेमंत […]
10 वर्ष की उम्र से करते हैं पेंटिंग : रेंमत कुमार मिश्रा ने बताया कि 10 वर्ष की उम्र से ही वे इस कला में जुड़ गये थे. 1995 में प्रथम बार सीसीआरटी छात्रवृत्ति के लिए चुना गया था. उसके बाद 2014 में राज्य पुरस्कार के लिए बिहार सरकार द्वारा चयन किया गया. वहीं गोआ में बेहतर कला कृति को लेकर सांस्कृतिक कला परिषद गोआ द्वारा ताम्रपत्र से सम्मानित किया गया.
अपनी दादी व चाची से सीखी पेटिंग : श्री मिश्रा ने बताया कि जब वे छोटे थे उस समय अपनी दादी राज्य पुरस्कार प्राप्त स्व. मुनेश्वरी देवी को पेंटिंग करते देखता था. उसी समय में पेंटिंग का कूची पकड़ना शुरू कर दी. दादी के मरने के बाद, चाची पद्मश्री सीता देवी से कलाकारी की विशेष बातें सीखी. तब से लेकर अभी तक कई शहरों में पेंटिंग का प्रदर्शनी में भाग ले चुका हैं. श्री मिश्रा इससे पूर्व दो बार चायना, एक बार हांगकांग भी जा चुके हैं. वहीं जेएनयू में मिथिला पेंटिंग पर कार्यशाला में भाग लिया था. जबकि गुजरात के बरौदा विश्वविद्यालय में मधुबनी पेंटिंग पर सेमिनार का आयोजन किया था. जिसमें हमको उसका नेतृत्व करने का मौका मिला था.
लीक से हट कर करते हैं पेंटिंग : श्री मिश्रा ने बताया कि पहले कार्ड बोर्ड पेपर पर पेंटिंग की मांग अधिक होती थी. पर अब लोग घर में वाल पेंटिंग करवाना ज्यादा पसंद करते है. जबकि ड्रेस मेटेरियल, बाग, फर्नीचर, पलंग सहित अन्य उपयोगी सामान पर पेंटिंग बनाना भी लोगों की पसंद बनती जा रही है. ज्यादा पसंद करते है. उन्होंने युवा कलाकारों को इस विद्या से जुरने का आह्वान करते हुए कहा कि जो व्यक्ति इसको अपना कर इस कला के प्रति समर्पित हो जाता है. उसे ही इसका महत्व पता चलता है. उन्होंने युवाओं के लिक से हटकर पेंटिंग करने का आग्रह किया.
भारत सरकार के शिल्प कला ने किया कोलंबो जाने के लिए चयन
फिर लहराया जितवारपुर गांव का परचम
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