मधुबनी : पिछले सात दिनों से बंद पड़े साफ-सफाई का काम आखिरकार शनिवार को शुरू हुआ. शहर के 30 वार्डों में से 26 वार्डों में सफाई का काम पूरी तरह से ठप था. जिससे साफ सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी थी. शहर में सभी सड़कों व मुहल्ले कचरे से पट गया था. शहर में करीब 50 टन कचरा जमा हो गया था. दरअसल शहर में सफाई का कार्य देख रहे एनजीओ सरस्वती आर्ट एंड कल्चर सेंटर के मजदूरों ने दो महीना से भुगतान नहीं होने के कारण 8 जून से काम रोक दिया था.
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शहर में फिर से साफ-सफाई शुरू
मधुबनी : पिछले सात दिनों से बंद पड़े साफ-सफाई का काम आखिरकार शनिवार को शुरू हुआ. शहर के 30 वार्डों में से 26 वार्डों में सफाई का काम पूरी तरह से ठप था. जिससे साफ सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी थी. शहर में सभी सड़कों व मुहल्ले कचरे से पट गया था. शहर में […]
एनजीओ ने उसका भुगतान नहीं किया था. इधर, बिहार सरकार के वित्त विभाग द्वारा सीएफएमएस नियम लागू होने के कारण नगर परिषद ने एनजीओ का भुगतान नहीं किया था. जिसके कारण एनजीओ को भुगतान करने में कठिनाई हुई. मजदूरों ने भुगतान समय से नहीं होने के कारण साफ-सफाई का कार्य रोक दिया था. वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने के कारण साफ-सफाई पूरी तरह ठप्प हो गया था. जिससे शहर में चारों ओर कचरे का अंबार लगा था.
एनजीओ को प्रतिमाह 13 लाख भुगतान 26 वार्डों की सफाई के लिए एनजीओ को नप प्रतिमाह 13 लाख 41 हजार रुपये भुगतान करता है. यानी एक दिन की साफ सफाई में एनजीओ को 44 हजार 7 सौ रुपया का भुगतान करना पड़ता है. दो महीनों का 27 लाख रुपया बकाया हो गया था. एकरारनामा के मुताबिक नगर परिषद को प्रतिमाह एनजीओ को भुगतान करना था. लेकिन दो महीने से भुगतान बाधित रहने से साफ सफाई रोक दिया गया.
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