सिंहेश्वर .
जन नायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में गार्ड के द्वारा स्लाइन लगाने के मामले में लोगों ने प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया है. लोगों में गार्ड के द्वारा स्लाइन लगाने से जितना गुस्सा नहीं है उससे कही ज्यादा स्टाफ नर्सों पर है. लोगों ने बताया कि इस तरह के कुकृत्य को नर्सों के द्वारा ही अंजाम दिया जा रहा है. नर्सों के द्वारा लोगों से अभद्रता की जाती है. बार- बार बुलाने पर भी नर्सें मरीज के पास नहीं आती है. बस जब समय हुआ तो गार्ड या वार्ड बॉय को सूई या दवाई देने के लिए भेज देती है. अगर कोई नर्सों से शिकायत करता है, तो वो मरीज या मरीज के परिजनों से ही लड़ जाती है.यह भी बताया कि नर्सें अपने हिसाब से कार्य को अंजाम देती है. जब गार्ड के द्वारा स्लाइन लगाया जा रहा था तो इस कार्य को भी नर्सों के द्वारा ही करने के लिए कहा गया होगा. क्योंकि गार्ड के पास न तो पुर्जा होता है और न ही दवाई. फिर अपने मन से तो गार्ड स्लाइन तो नहीं लगा सकता है. हमेशा से यही देखा गया है कि नर्सों के द्वारा दुर्व्यवहार और कार्य में कोताही बरती जाती है. नर्स अधिकतर समय विभिन्न वार्ड में कमरे को लगाकर या तो मोबाइल में लगी है या फिर आराम फरमाती है. नर्सों के द्वारा किए जा रहे इस प्रकार के रवैया के कारण मेडिकल कॉलेज की छवि धूमिल होती जा रही है. लोग अपने परिजनों का इलाज मजबूरी बस मेडिकल कॉलेज में कराने को बेबस दिख रहे हैं. मेडिकल कॉलेज के बेहतरी के लिए कई बार सामाजिक संगठनों ने भी मेडिकल कॉलेज में बेहतर स्वास्थ्य सेवा के लिए आंदोलन भी किया है, लेकिन मेडिकल कॉलेज अपनी छवि सुधारने के बजाय लगातार बिगड़ती ही जा रही है. इसकी बड़ी जिम्मेदारी नर्सों पर ही होती है, लेकिन यहीं नर्सें अपनी लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार के कारण मेडिकल कॉलेज को बदनाम करने से नहीं चूक रही है. इस मेडिकल कॉलेज पर सबसे अधिक जिम्मेदारी गरीब लोगों पर है. क्योंकि गरीब लोग ही अधिक संख्या में अपना इलाज कराने मेडिकल कॉलेज में आते है, लेकिन धीरे धीरे उनका भी विश्वास मेडिकल कॉलेज से उठता जा रहा है. इसमें सबसे ज्यादा नर्स को ही जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

