मधेपुरा. भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय शैक्षणिक परिसर स्थित विश्वविद्यालय प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग व संस्कृति विभाग में एक विभागीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका विषय महात्मा बुद्ध के उपदेशों की वर्तमान में प्रासंगिकता थी. संगोष्ठी की अध्यक्षता विश्वविद्यालय प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग के प्रभारी विभागाध्यक्ष प्रो सीपी सिंह व संचालन असिस्टेंट प्रो मो सरफराज आलम ने किया. संगोष्ठी में वक्ताओं ने बड़ा ही सारगर्भित तरीके से महात्मा बुद्ध के उपदेशों की वर्तमान में प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला. विश्वविद्यालय प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग के प्रभारी विभागाध्यक्ष प्रो सीपी सिंह ने अपने संबोधन में महात्मा बुद्ध के जीवनी व उनके उपदेशों की विस्तृत व्याख्या करते हुए यह बताने का प्रयास किया कि आज वर्तमान वैश्विक अशांति के दौर में महात्मा बुद्ध के उपदेशों के अपनाने से ही शांति संभव है. उन्होंने बुद्ध के अहिंसा के सिद्धांत, उनके अष्टांगिक मार्ग व मध्यम मार्ग का कैसे आज विश्व समुदाय को जरूरत है, इस पर प्रकाश डाला. उन्होंने यह भी कहा कि आज वर्तमान में बुद्ध के उपदेशों को विश्व समुदाय को अपनाने की आवश्यकता है. इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ अमरेंद्र कुमार ने बुद्ध के उपदेशों की चर्चा करते हुए कहा कि बुद्ध के उपदेश केवल धार्मिक नहीं, बल्कि व्यवहारिक, नैतिक व सार्वभौमिक है. आज के दौर में जब व्यक्ति आंतरिक शांति की तलाश में है, बुद्ध का दर्शन उसे संतुलन, सहिष्णुता व आत्मज्ञान की दिशा में प्रेरित करता है. इसलिए बुद्ध के उपदेश आज के युग में भी पूर्णतः प्रासंगिक व उपयोगी है. वर्तमान समय में विश्व समुदाय को बुद्ध के उपदेशों को अपनाने की आवश्यकता है. असिस्टेंट प्रोफेसर डा मो सरफराज आलम ने कहा कि वर्तमान समय में विश्व को बुद्ध की अहिंसात्मक सिद्धांतों को अपनाने की आवश्यकता है, तभी मानव कल्याण की परिकल्पना साकार होगी. इस अवसर पर सांख्यिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ अरविंद कुमार व पीएमआइआर के डाॅ सुनील कुमार ने भी बुद्ध के उपदेशों पर प्रकाश डाला. संगोष्ठी में विभाग के छात्र-छात्राओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया और अपना आलेख प्रस्तुत किया. मौके पर गुरु दयाल कुमार, गुलशन कुमार, अभिषेक कुमार, चंदन कुमारी, अभिमन्यु कुमार, निशा कुमारी, संगीता कुमारी, अजय कुमार राम, मुकेश कुमार, आनंद कुमार, रोशन कुमार आदि उपस्थित थे.
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