परिचालन. जांच के नाम पर हो रही खानापूर्ति मधेपुरा. जिले में ओवरलोडिंग पर कोई नियंत्रण नहीं होने से सड़कों पर लगातार दुर्घटना हो रही है. राष्ट्रीय राजमार्ग 107 व 106 हो या जिला व ग्रामीण सड़कें. हर जगह क्षमता से अधिक लदे ट्रक, ट्रैक्टर, पिकअप व बालू, ईंट, सीमेंट और खाद ढोने वाले वाहन धड़ल्ले से दौड़ते नजर आ रहे हैं. यह स्थिति न सिर्फ यातायात व्यवस्था को प्रभावित कर रही है. बल्कि आम लोगों की जान पर भी सीधा खतरा बन गयी है. एनएच 107 व 106 पर ओवरलोड वाहनों का परिचालन खुलेआम हो रहा है. खासकर रेलवे रैक पॉइंट से सीमेंट और खाद की खेप को भारी मात्रा में ओवरलोड कर गोदामों तक पहुंचाया जा रहा है. दिन के साथ-साथ रात के समय भी यह सिलसिला बेरोकटोक जारी रहता है. स्थानीय लोगों ने कहा कि इन मार्गों पर भारी वाहनों की कतारें आम हो गयी है, जिससे आम वाहन चालकों को परेशानी उठानी पड़ती है. सड़क व वाहनों को हो रहा नुकसान विशेषज्ञों के अनुसार ओवरलोडिंग से सड़कों की उम्र तेजी से घटती है. निर्धारित वजन से अधिक बोझ पड़ने पर सड़क की सतह टूटती है. गड्ढे बनते हैं और पुल. पुलियों की मजबूती भी प्रभावित होती है. इसके अलावा वाहन के ब्रेक. टायर और सस्पेंशन सिस्टम पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे चलते वाहन के अनियंत्रित होने की आशंका बनी रहती है. दुर्घटना की आशंका बढ़ी ओवरलोड वाहनों के कारण दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है. तेज रफ्तार और भारी वजन के कारण ऐसे वाहन समय पर ब्रेक नहीं ले पाते. मोड़ पर पलटने. सामने से आ रहे वाहन को कुचल देने या अचानक रूक जाने की घटनाएं आम हो गयी है. हाल के महीनों में मधेपुरा और आसपास के क्षेत्रों में हुई कई सड़क दुर्घटनाओं में ओवरलोडिंग एक प्रमुख कारण बताया जा रहा है. दूसरे वाहन चालकों को हो रही परेशानी ओवरलोड वाहन अक्सर सड़क के बीचोंबीच धीमी गति से चलते हैं, जिससे पीछे चल रहे छोटे वाहनों को ओवरटेक करने में कठिनाई होती है. इससे जाम की स्थिति बनती है और बाइक सवार व पैदल चलने वालों के लिए खतरा और बढ़ जाता है. रात के समय बिना रिफ्लेक्टर और संकेतक के चलने वाले भारी वाहन हादसे को आमंत्रण देते हैं. जांच के नाम पर खानापूर्ति स्थानीय लोगों का आरोप है कि परिवहन विभाग द्वारा की जा रही जांच महज औपचारिकता बनकर रह गयी है. कभी. कभार अभियान चलाकर कुछ वाहनों से जुर्माना वसूल लिया जाता है, लेकिन एनएच 107 व 106 जैसे प्रमुख मार्गों पर नियमित जांच नहीं होने से ओवरलोडिंग करने वालों के हौसले बुलंद हैं. तौल कांटों की नियमित जांच. स्थायी चेक पोस्ट और लगातार निगरानी का अभाव साफ नजर आता है. सख्ती की मांग सामाजिक संगठनों और आम नागरिकों ने मांग की है कि रेलवे रैक पॉइंट से निकलने वाले सीमेंट और खाद के वाहनों की विशेष निगरानी की जाय. ओवरलोडिंग पर कार्रवाई हो. नियमित जांच. भारी जुर्माना और वाहन जब्ती जैसे कदम उठाए जाएं. ताकि सड़कें सुरक्षित बन सकें और दुर्घटनाओं पर अंकुश लगे. जब तक परिवहन विभाग ठोस और ईमानदार कार्रवाई नहीं करेगा. तब तक मधेपुरा की सड़कें यूं ही जोखिम भरी बनी रहेंगी.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

