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आंबा केंद्रों पर एफआरएस के माध्यम से मिल रहा पोषाहार

आंबा केंद्रों पर एफआरएस के माध्यम से मिल रहा पोषाहार

ग्वालपाड़ा.

आंगनबाड़ी केंद्रों पर टेक होम राशन (टीएचआर) वितरण में अब पूरी पारदर्शिता लायी जा रही है. लाभुकों को पोषाहार लेने के लिए खुद केंद्र पर आना पड़ेगा. सेविकाएं पोषण ट्रैकर एप से फेस रिकग्निशन सिस्टम (एफआरएस) के जरिये राशन दे रही हैं. अब सास-ससुर या परिवार के अन्य सदस्य राशन नहीं ले सकेंगे. केवल गर्भवती और धात्री महिलाओं का चेहरा मिलान होने के बाद ही पोषाहार मिलेगा. नई व्यवस्था लागू होने के बाद आंबा सेविकाओं को भी राहत मिली है. हालांकि कुछ जगहों पर तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं. विभाग के कर्मचारी इन्हें ठीक करने में लगे हैं. सोमवार को सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर टीएचआर का वितरण किया गया. महिला पर्यवेक्षिकाओं की निगरानी में चावल, दाल, सोयाबीन समेत अन्य सामग्री तय मात्रा में दी गई. सीडीपीओ ने चिन्हित केंद्रों पर पहुंचकर वितरण कराया व आंबा सेविकाओं को जरूरी निर्देश दिये. बताया गया कि तीन साल तक के बच्चों, गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को पोषक आहार दिया जा रहा है. इसका मकसद कुपोषण से मुक्ति दिलाना है.

सेविकाओं व सहायिकाओं को निर्देश दिया गया है कि बाल विकास परियोजना के तहत यह कार्यक्रम निष्पक्ष रूप से चलाया जाय. एफआरएस से वितरण नहीं करने वाली सेविकाओं पर कार्रवाई की जानकारी दी गयी. इसे हर हाल में 100 प्रतिशत लागू करने के निर्देश दिये जा रहे हैं. सीडीपीओ दुर्गेश कुमार ने बताया कि ग्वालपाड़ा प्रखंड के जिन केंद्रों को राशि मिली है, उन्हें एफआरएस के अनुसार लाभुकों को पोषाहार देना है. 13 हजार रुपये पाने वाले केंद्र को 56 लाभुकों को राशन देना है. नौ हजार रुपये वाले केंद्र को 28 लाभुकों को पोषाहार देना है. इनमें 20 बच्चे, चार गर्भवती और चार धात्री महिलाएं शामिल हैं. सात हजार रुपये वाले केंद्र को 14 लाभुकों को राशन देना है. इनमें 10 बच्चे, दो गर्भवती और दो धात्री महिलाएं हैं. ग्वालपाड़ा की सेविकाओं ने बताया कि उनका खाता ग्रामीण बैंक में है. बाल विकास के कर्मी खाते में तुरंत पैसा भेजते हैं व तुरंत निकासी के लिए कहते हैं. लेकिन बैंक कर्मी पैसा नहीं देते. सेविकाओं ने सीडीपीओ दुर्गेश कुमार को बताया कि बैंक से पैसा नहीं निकला है. इसके बावजूद सीडीपीओ की ओर से टीएचआर वितरण दबाव डाला गया.

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