चालक-सवार दोनों के लिए हेलमेट अनिवार्य
मधेपुरा.
सड़क पर दौड़ती बाइक और उस पर सवार तीन से पांच लोग. यह नजारा अब मधेपुरा की सड़कों पर आम हो गया है. ट्रैफिक नियमों की अनदेखी कर युवा खुद को हीरो समझते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि वे हर पल अपनी और दूसरों की जिंदगी को जोखिम में डाल रहे हैं. शहर के कॉलेजों के बाहर, गली-मोहल्लों एवं प्रमुख चौराहों पर यह तस्वीर रोज दिखाई देती है. न हेलमेट, न कोई सुरक्षा, बस बाइक पर तीन से पांच सवारी और रफ्तार का जुनून. यही लापरवाही कई बार मौत का कारण बन चुकी है. तेज ब्रेक लगते ही संतुलन बिगड़ जाता है और पल भर में सड़क पर दुर्घटना घट जाती है.पुलिस की अनदेखी पर सवाल
चिंता की बात है कि इन घटनाओं को देख कर भी यातायात पुलिस अक्सर मूकदर्शक बनी रहती है. हालांकि यातायात पुलिस एवं सिविल पुलिस की ओर से जिले में रोजाना बिना हेलमेट और अधिक सवारी वाले दुपहिया चालकों पर चालान किया जा रहा है, पर यह कार्रवाई नाकाफी साबित हो रही है. युवाओं के बीच यह मान्यता बन चुकी है कि नियम तोड़ना ही उनकी शान है.सर्वाधिक हादसे में बाइक सवार शामिल
आंकड़ों पर नजर डालें तो सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक मौतें हेलमेट न पहनने वाले बाइक चालकों व सवारों की हो रही हैं. हादसे के समय सिर पर चोट लगने से मौके पर ही जान चली जाती है. हेलमेट जीवनरक्षक है, लेकिन युवा इसे बोझ मानते हैं. यही कारण है कि सड़क हादसों में हर साल दर्जनों परिवार उजड़ रहे हैं.अभिभावकों की भी जिम्मेदारी
बच्चे बाइक पर तीन-चार सवारी लेकर निकलते हैं और घरवालों को इसकी भनक तक नहीं होती. अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों को ट्रैफिक नियमों का महत्व समझाएं. बाइक पर दो से अधिक सवारी बैठाना खतरनाक है और इस गलती की कीमत जान देकर चुकानी पड़ सकती है.स्थानीय लोगों की राय
स्थानीय निवासी शंकर यादव ने कहा कि शहर में ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं. पुलिस कार्रवाई करती है, लेकिन उतनी सख्ती नहीं दिखा रही है. रोजाना बच्चे और युवा बिना हेलमेट और तीन-चार सवारी बैठाकर बाइक चलाते हैं. इससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. वहीं, मुरारी भगत का कहना है कि बाइक पर तीन-चार सवारी बैठकर चलना अब फैशन बन गया है. लोग अपनी और दूसरों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं. पुलिस को चाहिए कि ऐसे लोगों की बाइक तुरंत जब्त करे, तभी सड़क पर अनुशासन लौटेगा.प्रशासन को बरतीन होगी सख्ती
जानकारों का कहना है कि जब तक नियम तोड़ने वालों में कानून का डर नहीं होगा, तब तक सड़क पर अनुशासन नहीं लौटेगा. हर चौक-चौराहे पर सीसीटीवी निगरानी बढ़ायी जाये, चालान काटने में कठोरता बरती जाए. जरूरत पड़ने पर बाइक भी जब्त की जाये. तभी लोग सबक लेंगे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

