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जल के 75 सरकारी स्रोत हैं अतिक्रमित

अभियान . जलस्रोतों को आपदा न्यूनीकरण के लिए अतिक्रमण मुक्त कराने को प्रशासन तैयार जिले में औसत से कम बारिश होने के कारण एक ओर सुखाड़ की स्थिति बनती जा रही है. जल स्तर नीचे गिरता जा रहा है और दूसरी ओर जिले में पारंपरिक जल स्रोत अतिक्रमित हैं. सरकारी स्तर पर भी ऐसे 75 […]

अभियान . जलस्रोतों को आपदा न्यूनीकरण के लिए अतिक्रमण मुक्त कराने को प्रशासन तैयार

जिले में औसत से कम बारिश होने के कारण एक ओर सुखाड़ की स्थिति बनती जा रही है. जल स्तर नीचे गिरता जा रहा है और दूसरी ओर जिले में पारंपरिक जल स्रोत अतिक्रमित हैं. सरकारी स्तर पर भी ऐसे 75 जल स्रोतों को चिह्नित किया गया है जो अतिक्रमित हैं. सरकार ने इस ओर ध्यान दिया और इन जल स्रोतों को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिये अभियान चलाया है. इस अभियान का नाम दिया है ‘अभियान जल निकाय संरक्षण’. इन जल स्रोतों का उपयोग बारिश की बूंदों को सहेज कर जल स्तर को ऊपर उठाने में किया जा सकता है.
मधेपुरा : वैसे तो सरकार ने आपदा के जोखिम को कम करने के लिए रोड मैप 2015- 30 के अंतर्गत इस अभियान को रखा है. इस अभियान में पूरे राज्य के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के सार्वजनिक जल निकायों को शामिल किया है. इन जल निकायों में पोखर, मयन, झील, आहर, पाइन, नहर, नाला जैसे जल निस्सरण संरचनाएं एवं नदी आदि शामिल किये गये हैं.
लेकिन इन जल स्रोतों को अगर अतिक्रमण मुक्त कर जनोपयोगी बनाया जाये तो इसे नदियों में कम होते जल स्राव से होने वाली संभावित खतरों के समाधान के रूप में देखा जा सकता है. गौरतलब है कि विगत एक दशक के दौरान कोसी सहित इस इलाके की कई छोटी – बड़ी नदियों में जल का बहाव धीरे-धीरे कम होता जा रहा है. इससे इलाके के लोगों में चिंता व्याप्त होने लगी है. अगर यही हाल रहा तो ऐसा भी समय आयेगा जब इस इलाके में केवल रेत ही रेत नजर आयेगा.
कभी इस तट पर बहती थी वेदों की ऋचाएं
सरकार की इस आपदा न्यूनीकरण योजना का उद्देश्य है कि अगर इन जल स्रोतों से अतिक्रमण हटा दिया गया तो यहां जान जाने का खतरा कम हो जायेगा. लेकिन इन जल स्रोतों के सामाजिक पहलुओं पर विचार नहीं किया जा रहा है. हालांकि जिले में कई नदियां और बरसाती नाले ऐसे हैं जो धीरे-धीरे अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं. इनमें सिंहेश्वर स्थान में कभी कोसी नदी की मुख्य धारा बहती थी. वैवाह नदी के इस पावन तट पर ऋष्य शृंग ने अपना आश्रम बनाया था. नदी के वेग के साथ यहां वेदों की ऋचाएं उच्चरित हुआ करती थी. अब इस नदी ने नाले का रूप ले लिया है. अतिक्रमण एवं लगातार कूड़े कचरे के कारण नदी भरती जा रही है. सिंहेश्वर स्थान शिव मंदिर की ख्याति राज्य के बड़े हिस्से के अलावा नेपाल में भी है. नदी के किनारे बने इस शिवालय की पवित्रता तब और बढ़ जाती जब इस नदी को भी अभियान चलाया जाता और इसमें साफ स्वच्छ निर्मल धारा बहती. प्रशासन को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए.
घैलाढ़ प्रखंड में घोपा मखाना महाल झील तीस एकड़ से अधिक भूभाग में फैली थी. अतिक्रमणक के कारण यह भूभाग छोटा होता जा रहा है.
ये हैं अतिक्रमित सरकारी जलस्रोत
मधेपुरा प्रखंड : मठाही में मठाही पोखर, गम्हरिया मधुबन सरकारी पोखर, नगरपरिषद क्षेत्र वार्ड संख्या – 2 में पश्चिमी पोखर, बेतौना पोखर, मुड़बल्ला खोपैती तालाब.
घैलाढ़ प्रखंड : बसुदेवा पोखर, झिटकिया पोखर, रानीपोखर, रानीपोखर – 2, घोपा मखाना महाल बड़ा तालाब, सितुयाही मखाना महाल बड़ा तालाब.
सिंहेश्वर प्रखंड : सिंहेश्वर कचहरी तालाब मत्स्य बीज प्रक्षेत्र, गौरीपुर तालाब, जजहट सबैला तालाब, सुखासन पोखर, एकडहरा तुलसीबाड़ी पोखर.
गम्हरिया प्रखंड : फुलकाहा पोखर, कौड़ीहार खेला पोखर, कमलजरी पोखर, गम्हरिया प्रेमलाल टोला पोखर, गम्हरिया दामोदर टोला पोखर, चंदनपट्टी पोखर, कन्हुआ गोढियारी पोखर, जीवछपुर मखाना महाल पोखर.
शंकरपुर प्रखंड : शंकरपुर हास्पीटल तालाब.
मुरलीगंज प्रखंड : पकिलपार तालाब, मीरगंज तालाब.
कुमारखंड प्रखंड : कुमारखंड तालाब, लक्ष्मीपुर तालाब, बैसाढ़ तालाब, रहटा भगवती तालाब, सिकरहट्टी तालाब, बरकुरवा तालाब.
उदाकिशुनगंज प्रखंड : फनहन पोखर, चकफजुला पोखर, गोपालपुर पोखर, रहुआ तालाब, बाराटेनी मत्स्य बीज प्रक्षेत्र.
ग्वालपाड़ा प्रखंड : ग्वालपाड़ा तालाब, नौहर तालाब, श्याम पोखर, शाहपुर चंद पोखर, खोखसी तालाब.
बिहारीगंज प्रखंड : गंगौरा जलकर पोखर, पड़रिया तालाब, लक्ष्मीपुर लालचंद पोखर, रघुवरगंज तालाब, गमैल् तालाब, बिहारीगंज तालाब, बभनगामा तालाब.
आलमनगर प्रखंड : आलमनगर मधैली पोखर, बड़गांव पोखर
पुरैनी प्रखंड : दुर्गापुर बाघमारा पोखर, पुरैनी बालू खदहा पोखर, धोबियाही पोखर, औराय पोखर कालीस्थान, खेराहे पोखर, बगहरा तालाब, नरदह तालाब, दुर्गापुर तालाब, नया टोला पोखर, डुमरैल तालाब, मकदमपुर तालाब.
चौसा प्रखंड : चिरौरी तालाब, घोषई पोखर, कृष्णा टोली तालाब, बेल्हारही तालाब, छोटकी बढौना पोखर, कलासन नंबर एक तालाब, कलासन नंबर दो तालाब, गरैया भटगामा तालाब, लौआलगान भगवती स्थान तालाब.

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