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पीड़ितों ने ऊंचे स्थानों पर ली शरण

बढ़ा नदी का जलस्तर . आलमनगर के पांच व चौसा प्रखंड के कई पंचायतों में घुसा पानी एक सप्ताह से क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश व नेपाल बराज से छोड़े गये पानी के कारण आलमनगर प्रखंड के पांच पंचायतों में पानी भर गया है. वहीं चौसा प्रखंड के कई पंचायतों में बाढ़ के पानी […]

बढ़ा नदी का जलस्तर . आलमनगर के पांच व चौसा प्रखंड के कई पंचायतों में घुसा पानी

एक सप्ताह से क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश व नेपाल बराज से छोड़े गये पानी के कारण आलमनगर प्रखंड के पांच पंचायतों में पानी भर गया है. वहीं चौसा प्रखंड के कई पंचायतों में बाढ़ के पानी से लोगों में काफी खौफ है.
आलमनगर/चौसा : जिला पदाधिकारी मो सोहैल सहित अन्य अधिकारियों ने बुधवार की संध्या फुलौत पहुंच कर बाढ़ की स्थिति की जांच की. इस दौरान डीएम ने सीओ अजय कुमार आवश्यक निर्देश देते हुए कहा कि पानी और बढने की संभावना है. डीएम ने रात में नाव परिचालन मना किया है. साथ ही रतवारा में एसडीआरएफ की टीम कैंप करेगी. वहीं फुलौत के दस परिवार को तीन-तीन हजार रुपये देने का निर्देश िदया. जिस गांव में पानी घुस चुका है,
वहां के लोगों को उंचे स्थान पर सारी सुविधाएं उपलब्ध करवायें. डीएम ने पानी जांच करने के लिए मशीन रखने को कहा. आलमनगर के रतवारा कपसिया, सुखाड़ घाट, ललिया, मुरौत, हड़जौड़ा, छतौना बासा सहित कई दर्जन गांवों का सड़क संपर्क भग हो गया है. वहीं चौसा प्रखंड के मोरसंडा, सपनी, फुलौत, बड़ीखाल सहित कई दर्जन गांव बाढ़ की चपेट में आ गयी है. स्थानीय लोगों के अनुसार बाढ के पानी में अत्यधिक वृद्धि होने से लोग उंचे स्थानों पर शरण लिये हुए है.
वहीं खास कर पशुपालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पशुपालक अपने पशु को चारा की तलाश में अपने घर बार छोड़ कर पशु को दूसरे जगहों पर ले जा रहे है. फुलौत के फुलौत पश्चिमी पंचायत के स्कूलों में बाढ़ की पानी घुस जाने से स्कूल में पढ़ रहे बच्चे को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस बाबत अंचलाधिकारी आलमनगर विकास कुमार सिंह ने बताया कि बाढ को देखते हुए पूरी व्यवस्था कर ली गयी है. फिलहाल दस जगहों पर सरकारी नाव चलायी जा रही है. वहीं 52 नाव की व्यवस्था की गयी है. आवाजाही में हो रहे परेशानी पर वहां अविलंब नाव दी जा रही है.
हाहाधार में संपर्क हुआ भंग
फुलौत के पि›मी पंचायत वार्ड नंबर दो हाहाधर नदी को पार करने के लिये सैकड़ों किसान एक छोटी नौका का सहारा लेकर नदी पार करते है. वहां सबसे ज्यादा नाविक को समस्या बताया गया. नाविक वकील मेहता, झीगरू मेहता का कहना है कि पिछले कई वर्षों से इस नदी पर नांव की परिचालन करने के लिये सरकारी स्तर पर परवाना सही समय पर नहीं मिलने पर घोर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
इस नदी को पार कर किसान विरेंद्र मेहता, अरूण मेहता, कमलेश्वरी मेहता,पप्पू साह, प्रदीप मेहता, हर बालक मेहता, रामरूप मेहता, सिकेंद्र शर्मा निर्मल शर्मा राज, अनिल राम, भारत पासवान, आदि लोगों का कहना है कि नदी पार करने मे हमलोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ती है. उनलोगों ने यह भी बताया कि इसी रास्ते से अपने खेत खलियान, बजराहा, गौच्छी,बाम्हज्ञानी बासा, इटहरी, आलमनगर आदि गांव को जोड़ने का एक मात्र रास्ता इस नदी पर सालों पर परेशानी बनी रहती है.
पानी में घिरे कई गांव
फुलौत का कई इलाका बाढ़ की पानी से पूरी तरह से चारों और घेर लिया है. फुलौत नदी के किनारे बसे गांव को जाने वाली कच्ची रास्ता भी है. जहां पर मवेशियों तथा आमलोगों को कमर भर पानी में चलना अभी भी जारी है. लगातार बाढ़ की पानी के संद्रभ में पार कर रहे है लोग रेखा देवी,
चानों पंडित, राजगीर पंडित, शीला देवी, सीता राम पंडित ,कौशल्या देवी, किशुन लाल पंडित, सीता राम पंडित, लखन लाल पंडित, बेचन पासवान, सुनील मेहता, श्रवण साह अरूण साह, प्रभुदयाल जायसवाल एवं सविता देव का कहना है कि हमलोगों को आने जाने के मात्र एक ही रास्ता है जो बाढ़ की पानी के कारण अवरूद्ध होकर रास्ता बंद हो गया है.

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