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पूरी रात रही चहल-पहल, ईद आज

त्योहार . शहर के जामा मसजिद में चांद देखने की तसदीक के बाद आज ईद है. शहर के जामा मसजिद में चांद देखने की तसदीक करने के बाद पूरी रात चहल-पहल रही. रात भर ईद की खरीदारी चलती रही. इत्र और लोबान की खुशबू से शहर सराबोर होने लगा. मीठी सेवइयों की सुगंध से माहौल […]

त्योहार . शहर के जामा मसजिद में चांद देखने की तसदीक के बाद

आज ईद है. शहर के जामा मसजिद में चांद देखने की तसदीक करने के बाद पूरी रात चहल-पहल रही. रात भर ईद की खरीदारी चलती रही. इत्र और लोबान की खुशबू से शहर सराबोर होने लगा. मीठी सेवइयों की सुगंध से माहौल सुगंधित होने लगा है.
मधेपुरा : ईद उल-फित्र में ‘फित्र’ अरबी का शब्द है. इसका मतलब होता है फितरा अदा करना़ इसे ईद की नमाज पढ़ने से पहले अदा करना होता है़ फितरा हर मुसलमान पर वाजिब है और अगर इसे अदा नहीं किया गया तो ईद नहीं मनायी जा सकती.
रोजा इस्लाम के अहम फराइजों में से एक है और यह सबर सिखाता है़ रमजान में पूरे महीने भर के रोजे रखने के बाद ईद मनायी जाती है़ दरअसल, ईद एक तोहफा है, जो अल्लाह इज्जत अपने बंदों को महीना भर के रोजे रखने के बाद देते है़ं कहा जाता है कि ईद का दिन मुसलमानों के लिए इनाम का दिन होता है़ इस दिन को बड़ी ही आसूदगी और आफीयत के साथ गुजारना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा अल्लाह की इबादत करनी चाहिए़
तीस रोजा मुकम्मल अब ईद की नमाज
शहर के उर्दू दर्शगाह के नाजिम व इसलामिक जानकार मो रजाउर्ररहमान उर्फ मेहरू भाई कहते हैं घर से मीठी चीज खा कर ही ईदगाह जाना चाहिए. एक रास्ते से जायें और दूसरे रास्ते से वापस आयें. हर मुसलमान पर दो रिकत नमाज, छह दायद तकबीरों के वाजिब है. तीस रोजा मुक्कमल होने की खुशी में ईद की नमाज अदा की जाती है. ईदगाह या जामा मसजिद जहां जगह मिले, नमाज वहां अदा कर लेनी चाहिए. ईद-उल-फितर मुसलमान रमजान उल-मुबारक के महीने के बाद एक मजहबी खुशी का त्योहार मनाते हैं, जिसे ईद उल-फित्र कहा जाता है़
ये यक्म शवाल अल-मुकर्रम्म को मनाया जाता है़ ईद उल-फित्र इसलामी कैलेंडर के दसवें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है. इसलामी कैलंडर के सभी महीनों की तरह यह भी नये चांद के दिखने पर शुरू होता है. ईद मूल रूप से भाईचारे को बढ़ावा देने वाला त्योहार है. इस त्योहार को सभी आपस में मिल कर मनाते हैं और खुदा से सुख-शांति और बरक्कत के लिए दुआएं मांगते हैं.
अल्लाह की शुक्रिया का दिन
उपवास की समाप्ति की खुशी के अलावा ईद में मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा इसलिए भी करते हैं कि उन्होंने महीने भर के उपवास रखने की शक्ति दी. ईद के दौरान बढ़िया खाने के अतिरिक्त नये कपड़े भी पहने जाते हैं और परिवार और दोस्तों के बीच तोहफों का आदान-प्रदान होता है. सेवइयां इस त्योहार की सबसे जरूरी भोजन है जिसे सभी बड़े चाव से खाते हैं.
कहते हैं चिकित्सक
डा असीम प्रकाश कहते हैं कि ईद की खुशी में कई शानदार व्यंजन बनाये जाते हैं. लेकिन स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी उतना ही जरूरी है. घर में बने शानदार व्यंजनों की छोटी-छोटी बाइट लेने में कोई बुराई नहीं है लेकिन एक बार में ही पेट भर कर खाने से बचें. यह सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है. बदहज़मी की समस्या हो सकती है. एक्सरसाइज़ से अच्छे हार्मोन निकलते हैं जो मूड को सकारात्मकता देते हैं और आपकी भूख को बनाये रखने में मदद करते हैं.
मटन बिरयानी और शाही कोरमा, नान और शीर खुरमा के स्वाद में खोएंगे तो आपको गिल्ट महसूस नहीं होगी. गैस वाली ड्रिंक्स चीनी से भरपूर होती हैं, जो आपकी बॉडी के लिए अच्छी नहीं रहती.
हर मुसलमान पर फर्ज है जकात
ईद के दिन मसजिदों में सुबह की प्रार्थना से पहले हर मुसलमान का फ़र्ज़ है कि वो दान या भिक्षा दें. इस दान को ज़कात उल-फ़ितर कहते हैं. इस ईद में मुसलमान तीस दिनों के बाद पहली बार दिन में खाना खाते हैं. यह दान दो किलोग्राम कोई भी खाने की चीज़ का हो सकता है, मिसाल के तौर पर आटा, या फिर उन दो किलोग्रामों का मूल्य भी दिया जा सकता है. नमाज से से पहले यह ज़कात ग़रीबों में बाटी जाती है.

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