मधेपुरा: जिले में 2012 परिवारों को अनुदानित दर पर गोबर गैस कनेक्शन उपलब्ध कराया जायेगा. गैर परंपरागत ऊर्जा के स्नेत में बायो गैस का महत्वपूर्ण स्थान है.
इसके उत्पादन में घरेलू एवं खेती के अवशिष्ट पदार्थो का उपयोग होता है. जिला कृषि पदाधिकारी राम किशोर राय ने बताया कि इन अवशिष्ट पदार्थो को संयंत्र में डाल कर प्राकृतिक प्रक्रिया के द्वारा बायो गैस का उत्पादन किया जाता है. इस प्रक्रिया में मीथेन गैस निकलती है. यह एक ज्वलनशील गैस है. इसका उपयोग गृह कार्यो में किया जाता है. इससे भोजन बनाया जा सकता है. इसके जरिये बल्व भी जलाया जाता है.
बायो गैस का उत्पादन
बायो गैस उत्पादन की प्रक्रिया एक डायजेस्टर में पूरी होती है. ये एक बेलनाकार टैंक होता है. इसके बगल में छिद्र होता है जिसे अंतरमुखी द्वार कहते है. इसके द्वारा कच्चे पदार्थ को डाला जाता है. यह यंत्र संग्राहक इस्पात या अन्य धातु का बना होता है. एक घन मीटर प्लांट से एक सिलिंडर जितना बायो गैस उत्पन्न होता है. इतने गैस से पांच लोगों का भोजन तैयार किया जा सकता है. दो घन मीटर प्लांट से दो से तीन गैस सिलेंडर क्षमता के बायो गैस उर्त्सजन होता है. इससे 10 से 15 लोगों का दो बार एक महीना तक बन पायेगा. जिले को 2012 इकाई गोबर गैस का लक्ष्य प्राप्त है. कार्यालय के कृषि समन्वयक मिथिलेश क्रांति ने बताया कि दो घन मीटर के टैंक एवं संयंत्र की कुल कीमत 38 सौ रुपये है. इसमें 50 प्रतिशत अनुदान सरकार के द्वारा दी जायेगी. शेष राशि आपूर्ति कर्ता को देना होगा.