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सामाजिक क्षेत्र के पुरोधा थे नागाजरुन
मधेपुरा : हिंदी, मैथिली साहित्य और नागाजरुन विषय पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन मधेपुरा कॉलेज मधेपुरा के सभागार में रविवार को किया गया. सेमिनार का उदघाटन बीएनएमयू के प्रति कुलपति डॉ जे पी एन झा, डॉ केएन ठाकुर, प्राचार्य डॉ एचके मंडल, प्राचार्या डॉ पूनम यादव, डॉ जगदीश नारायण, डॉ भीमनाथ झा, प्राचार्य डॉ अशोक […]
मधेपुरा : हिंदी, मैथिली साहित्य और नागाजरुन विषय पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन मधेपुरा कॉलेज मधेपुरा के सभागार में रविवार को किया गया. सेमिनार का उदघाटन बीएनएमयू के प्रति कुलपति डॉ जे पी एन झा, डॉ केएन ठाकुर, प्राचार्य डॉ एचके मंडल, प्राचार्या डॉ पूनम यादव, डॉ जगदीश नारायण, डॉ भीमनाथ झा, प्राचार्य डॉ अशोक कुमार व राम भरोस सिंह कापर भ्रमर ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. कार्यक्रम के प्रथम सत्र की अध्यक्षता कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ अशोक कुमार ने किया.
मौके पर अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया. पार्वती शिशु मंदिर के प्राचार्य शालीग्राम मंडल को डॉ पूनम ने शॉल व प्रस्सति पत्र देकर सम्मानित किया. वहीं कॉलेज के शासी निकाय के सचिव नंद किशोर यादव को डॉ अशोक कुमार यादव ने सम्मानित किया. इस अवसर पर प्रति कुलपति ने हिंदी मैथिली साहित्य से संबंध एवं नागाजरुन के जीवनी पर प्रकाश डाला. डॉ झा ने कहा कि मैथिली में यात्री हिंदी में नागाजरुन को सर्वग्राही साहित्यकार और कवि बताया.
वहीं मैथिली के विद्वान हरिमोहन झा एवं नागाजरुन की मैथिली में लिखी पुस्तकों का लोग विशेष रूप से अध्ययन करते है. मुख्य अतिथि डॉ जगदीश नारायण प्रसाद ने मैथिली साहित्य के विकास एवं बाबा नागाजरुन के लेखनी पर प्रकाश डाला. नागाजरुन व यात्री में अंतर्निहित विशिष्ट चेतना का उल्लेख उनके काव्यात्मक चमत्कार, उपन्यास के कत्थ्यात्मक आधार एवं उनके द्वारा लोक पुलीन पर आधारित उद्धरणों का उल्लेख किया. सेमिनार में भागलपुर के डॉ शिवपूजन सिंह ने नागाजरुन को मानवधर्मी कहा. उन्होंने नागाजरुन की सभी रचनाओं का आकलन करने के पश्चात उन्हें किसी वाद की सीमा में बांधना साहित्यक न्याय नहीं होगा.
नागाजरुन को कालजयी कवि बताया. दरभंगा के डॉ भीमनाथ झा ने कहा कि नागाजरुन के उपलब्धियों के बावजूद सरकार द्वारा उपेक्षित करने का आरोप लगाया. वहीं सहरसा के डॉ रामनरेश सिंह ने माकर्स हिंगोल ओर ऐजेंल्स के साहित्य के अनुरूप नागाजरुन को समाजिक चेतना, संवेदना, युग धर्मिता आत्मिक संस्कृति एवं यर्थाथ के सशक्त प्रहरी बताया. मगध विवि के पूर्व प्राचार्य डॉ देवनारायण पासवान ने कहा कि सत्ता में बैठे लालची लोलूप लोगों के उपर नागाजरुन द्वारा किये गये प्रहार को विद्धान श्रोताओं के समक्ष रखा.
सेमिनार के द्वितीय सत्र की अध्यक्षता डॉ अमोल राय ने की. मौके पर डॉ भीमनाथ झा, डॉ अरूण होता, डॉ राजाराम सिंह राठौर, डॉ शिवपूजन सिंह,डॉ रेणु सिंह, डॉ शिवनारायण यादव, प्राचार्य डॉ शांति यादव, प्रो श्यामल किशोर यादव, डॉ भूपेंद्र नारायण मधेपुरी, डॉ जवाहर पासवान, डॉ माधवेंद्र झा, डॉ इंद्रनारायण यादव, डॉ रामभजन मंडल, डॉ देवेंद्र यादव, डॉ कमलेश्वरी यादव, डॉ केपी यादव, डॉ आरबी मंडल, डॉ सिद्धेश्वर कश्यप,प्रो. सचिंद्र महतो, डॉ विद्यानंद यादव, डॉ तांद्रा, डॉ सुरेश कुमार, डॉ विनय कुमार चौधरी, डॉ इंद्रनारायण यादव सहित दर्जनों साहित्यकार एवं शोधार्थी छात्र मौजूद थे.
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