स्वास्थ्य िवभाग बेखबर. सांसद ने रविवार को पटना के नर्सिंग होम में बंधक बनी ललिता को कराया था मुक्त
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घर पहुंची ललिता, पति ने कर्ज लेकर कराया इलाज
स्वास्थ्य िवभाग बेखबर. सांसद ने रविवार को पटना के नर्सिंग होम में बंधक बनी ललिता को कराया था मुक्त मधेपुरा/जीतापुर : प्रभात खबर में प्रकाशित खबर पर संज्ञान लेते हुए रविवार को सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने पटना के नर्सिंग होम में बंधक बने ललिता को मुक्त करवा कर उसे घर भिजवाया. रविवार […]
मधेपुरा/जीतापुर : प्रभात खबर में प्रकाशित खबर पर संज्ञान लेते हुए रविवार को सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने पटना के नर्सिंग होम में बंधक बने ललिता को मुक्त करवा कर उसे घर भिजवाया. रविवार देर रात एंबुलेंस से पति निर्धन के साथ ललिता घर पहुंची, लेकिन सोमवार दिन भर घाव ताजा होने के कारण ललिता दर्द से कराहती रही. निर्धन किसी तरह लोगों से कर्ज लेकर तत्काल गांव से दवा खरीद कर ललिता को खिलाया,
लेकिन ललिता के इस दर्द ने प्रशासनिक महकमा खास कर स्वास्थ्य विभाग अंजान बना रहा. आलम यह हुआ कि रविवार देर रात घर चौड़ा पहुंच चुकी ललिता का सोमवार को स्वास्थ्य विभाग दिन भर इंतजार करती रही. घर पर ललिता से मिलने वालों का तो यू ही तांता लगा रहा, लेकिन उसके दर्द को कोई भांप नहीं सका.
सामाजिक सरोकार के दायित्व को निभाते हुए लगातार तीसरे दिन प्रभात खबर की टीम चौड़ा पहुंच कर ललिता के दर्द को साझा किया. प्रभात खबर से ललिता ने कहा कि पटना से सीधे उसे घर भेज दिया गया, लेकिन घाव के सूखने व दर्द कम होने की कोई दवा नहीं दी गयी. सुबह जब दर्द तेज हुआ, तो निर्धन से रहा नहीं गया वह पड़ोसी में किसी से पांच सौ कर्जा लेकर ललिता के लिए दवा मंगायी.
ललिता के इलाज में स्वास्थ्य विभाग बना कसूरवार. दूसरे बच्चे की आस में बैठे निर्धन को उस समय निराशा हाथ लगी जब उन्हें मालूम हुआ कि गर्भवती पत्नी ललिता के पेट में पल रहा बच्चा मर चुका है. पेट में दर्द उठने के बाद जब ललिता को सिंहेश्वर में डॉक्टर के पास ले जाया गया, तो डॉक्टर ने हालात गंभीर देख हाथ खड़े लिये और उसे सदर अस्पताल रेफर कर दिया. सदर अस्पताल में सारी सुविधा होने के बावजूद बीमार ललिता का वहां केयर नहीं किया गया. सदर अस्पताल में बगैर दवा सूई के बिना जांच किये ही ललिता को यह कह कर भगा दिया गया कि यहां इलाज संभव नहीं है, जबकि पेट की सर्जरी का साधन सदर अस्पताल में उपलब्ध है.
उस समय ही सदर अस्पताल महादलित ललिता के इलाज में दिलचस्पी दिखायी होती, तो आज उसे पटना में बंधक नहीं रहना पड़ता. ललिता के मामले में पहली गलती सदर अस्पताल ने की. फिर उसी गलती को सदर अस्पताल प्रशासन दोहरा रही है. चूंकि दो दिन पहले ही ललिता का स्टीच कटा है. घाव ताजा होने के कारण उसे इलाज की सख्त जरूरत है और उसके घर की माली हालत ऐसी है कि रहने के के लिए घर, खाने के लिए दाना नहीं तो सोने के लिए बिस्तर नही है. सोमवार को फूसनुमा घर पर दर्द से कराह रही ललिता जमीन पर पुआल बिछा कर लेटी हुई थी.
पटना के सिविल सर्जन ने फोन कर ललिता को मधेपुरा भेजने की सूचना दी थी. स्थानीय सांसद द्वारा पटना के नर्सिंग होम से मुक्त करायी गयी मरीज ललिता के इलाज के लिए अस्पताल में सबको अलर्ट कर दिया गया था. अस्पताल के डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मी ललिता के इंतजार में दिन भर रहे. मालूम हुआ कि वह घर पर है. महेशुआ पंचायत के चौड़ा गांव एंबुलेंस भेज कर ललिता को सदर अस्पताल में भर्ती कराया जायेगा.
डाॅ गदाधर प्रसाद पांडे, सीएस, सदर अस्पताल, मधेपुरा
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