रात के अंधेरे में पत्थर माफिया पहाड़ के आसपास के गांवों में गिरा रहे पत्थर
गश्ती के दौरान भी वन विभाग व पुलिस बलों के द्वारा नहीं दिया जा रहा ध्यान
पीरीबाजार. थाना क्षेत्र में एक बार फिर पत्थर का कारोबार शुरू हो गया है. बता दें कि कपकपाती ठंड में बेखौफ पत्थर माफिया अंधेरी रात में पत्थर गिराने का कारोबार कर रहे हैं. लाखों मुनाफा कमा रहे हैं, जिससे सरकार को राजस्व की हानि हो रही है. बता दें कि पत्थर माफिया जगह-जगह अपने लोगों को जासूस की तरह बिठाकर रात्रि के अंधेरे में पत्थर गिराने का कार्य करते हैं. पीरीबाजार क्षेत्र में जगह-जगह लगातार पत्थर गिरने का कार्य शुरू हो चुका है. पत्थर का कारोबार काफी फल-फूल रहा है. इस पर ना तो वन विभाग द्वारा सख्ती बरती जा रही है, न ही स्थानीय पुलिस प्रशासन के सख्ती बरत रही है. इससे पत्थर माफियाओं का मनोबल प्रतिदिन बढ़ रहा है. बिना प्रशासनिक भय के रात में पत्थर बिक्री का कारोबार होता है. स्थानीय लोगों को कहना है कि खबर प्रकाशित होने के बाद पुलिस द्वारा खानापूर्ति के लिए छापेमारी की जाती है. कुछ दिन कार्य बंद रहता है पुनः कार्य शुरू हो जाता है. हालांकि पीरी बाजार क्षेत्र में लंबे समय से यह सिलसिला चल रहा है पत्थर माफिया एक ट्रेलर पत्थर की कीमत पांच से छह हजार रुपया लेते हैं एवं उनके बिचौलिए पहले से ही खरीदार को इसकी सूचना दे देते हैं एवं पैसे ले लेते हैं. एक ओर सरकार वन संरक्षण एवं पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर पौधरोपण कराने के नाम पर हर वर्ष करोड़ रुपये खर्च कर रही है. दूसरी ओर सरकारी महकमे की लापरवाही से प्रतिदिन अवैध रूप से जंगल से पत्थर का खनन माफियाओं द्वारा किया जा रहा है. उन्हें न तो खनन विभाग के पदाधिकारी का भय है और न ही स्थानीय पुलिस प्रशासन का. इसकी शिथिलता की वजह से पत्थर खनन माफियाओं का मनोबल दिन व दिन बढ़ता जा रहा है. मामले को लेकर वनरक्षी विपिन कुमार ने कहा कि छापेमारी की जायेगी व पकड़े जाने पर पत्थर माफियाओं पर कानूनी कार्रवाई की जायेगी.
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